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उत्तमभाई ( आ.उ.व. ४७ )
२ मलुकचंद *
नहालजीभाई (i) (आ.उ.व. ५३)
दयाचंद (आ.उ.व. ५५)
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* शेठ मलुकचंद धर्मिष्ठ होई पौषधादि तपश्चर्या विशेषे करनारा हता.
मलुकचंदना त्रणे पुत्र मलुकचंदनी हयातीमां देवगत थवाथी मलुकचंदने वंशज न होवाना कारणे एओना नामनी यादगीरी माटे रतनचंद घुसना सुरत गोपीपुराना श्रीवासुपूज्यखामीना दहेरासरजीनी नीचे पहेला भूगर्भमां दहेरासर बनावी, श्रीशांतिनाथजी वगेरे भगवान वि० सं० १९४३ना वैशाख शुक्ल ६ ने शुक्रना रोज रत्नाकर समा श्रीमद्ररत्नसागरजीना उपदेशथी श्रीसिद्धिविजयजी ( अधुना सित्यासी वर्षना वयोवृद्ध, विद्यमान मुनिराजोमां सहुथी आद्य दीक्षित आचार्य विजयसिद्धि सूरीश्वर ) द्वारा शेठ साकरचंदे प्रतिष्ठित कर्या. एनो शिलालेख आ मुजब छे:
“ ॥ श्रीः ॥ ए० ॥ श्रीशांतिजिनाय नमः ॥ कृतारिष्टतमः शांतिश्वारुहेमतनुद्युतिः । प्रत्यादिष्टभवभ्रांतिः, श्रीशांतिर्ज[जे]यताज्जिनः ॥ १ ॥ श्रीसूर्यपुरवास्तव्य शाह मलुकचंद्र वखतचंद्र ज्ञाति विशाओसवाल घृतगुडगोत्र तेनुं द्रव्य साफल्य [ सफल ] करवाने अर्थे तेमना व्यवहार करवावाला तेमना भ्रातृजेय शाहः साकरचंद्र लालभाइ तेमणे शांता [ शांत्या ]दिगुणोपेत श्रीमन् रत्नसागरजि महाराजश्रीना उपदेशथी ॥ संव्वत् [ संवत् ] १९४३ना वइशाख [वैशाख ] शुदः ६ वार शुक्रे ॥ श्रीशांतिनाथबिंब प्रतिष्ठा क का ]रापिता ॥ शुभं भवतु ॥ ॥ लि । ॥ मुनि सिद्धी[द्धि] विजयः "
(i) कुंवारा.
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