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________________ प्रशमरतिः हारि. वृत्तिः ॥ ३० ॥ Jain Education tional * 'सम्पूर्ण विगतवालो पट्ट तथा शेठ देवचंदनुं चरित्र बीजा प्रन्थमां अपाववानी इच्छा छे. + आबूनी पूर्वोत्तर नानी मारवाड भूमिधी आवी 'सुरत मां वसेला मूल पुरुष. मारवाडथी सीधा सुरत आव्या के अमदावाद या खंभात वसीने आव्या ए चोकस थई शक्युं नथी. 'घृतगुड' गोत्र. गोत्रदेवीनी स्थापनामा 'आम्रफलनो शुद्ध गोटलो' गोत्रदेवी तरीके आम्रफलना गोटलानुं स्थापन, पूजन, प्रसाद, नैवेद अने जुहार निम्न समये करवानुं बन्धन छे:(१) मात्र म्होटा छोकराना जन्म पछीनी पहेली धनतेरसे पहेला म्होटा दिकरानो मात्र नीचलो डाबो एकज कान विधि शकाय छे. (२) मात्र महोटा - पहेला छोकराना प्रथम समयना जलम पछीनी पहेली धनतेरसे, पुत्रवधूने घेर तेडवा राखवा निमित्तनी. (३) दरेक छोकरा या तो छोकरीना मुण्डन समये मुण्डन, आखाय कुटुम्बना दिकरादिकरी कोईनो पण लग्नप्रसंग होय त्यारे ज थई शके. दिकरीओनुं मुण्डन मात्र डाबी बाजुना वालनी एक ज लट लेवडावी कराववामां आवे छे. ( ४ ) दिकरा या दिकरीना लग्नसमये. (५) पुत्रवधुओना सीमंतप्रसंगे -- सामान्यपणे गोत्रस्थापन. (६) जन्मथी सहुथी पहेली नामकरण - गोत्रमां दाखल करवानी सामान्यपणे गोत्र स्थापना कराय छे. ए प्रमाणे सहुथी म्होटा पहेला —दिकराने छ वखत, पछीनादिकराओने चार वखत अने छोकरीओने त्रण वखत 'गोत्रज' जुहारवानुं प्राप्त थाय छे. अंक (१) (२) (३) (४) वाला स्थापन समये सत्तर शेर ने एक पसली घउंना दलनो प्रसाद करवानो होय छे. आंबाना गोटलाना स्थापनथी शायद 'अंबिकाजी कुल देवता होवा संभव छे. , शिरोही राज्यमा शिरोहीथी दश माईल छेटे ( दांताराज्यवाळा 'अंबाजी 'श्री अलग) बामणवाडा नजीक कुलदेवता 'अंबिकाजी'नुं स्थान छे एवं किंवदन्तीथी सांभळवामां आव्युं छे. ज्ञाते 'ओशवाल वीसा' श्रीतपागच्छ अन्तर्गत श्रीविजयदेवसूरीय गच्छावलंबित श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन. + अहीं सुधी मारवाडमां उचराता नाम पछवाडेना 'शाह' शब्दनी छाया रही छे. + जेमनी वंशवेल आगळना पाना पर चालु छे. - • For Private & Personal Use Only दे.ला.. वंशवेल 11 30 11 &lainelibrary.org
SR No.600109
Book TitlePrashamrati Prakarana
Original Sutra AuthorUmaswami, Umaswati
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1940
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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