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प्रशमरतिः हारि. वृत्तिः
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आचार्य महाराज १००८ श्रीमद् आनन्दसागर - सूरीश्वरनी (ते समये पन्यास पढ़े ) सलाह अने उपदेशथी तथा शा. गुलाबचंद देवचंद झवेरीनी सम्मतिथी, आ एकत्र रकमोनुं महूम शेठ देव चंदनी यादगीरी माटे "शेठ देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड” नामनुं आ ट्रस्ट शेठ देवचंदना मृत्युपत्रना ट्रस्टीयो (१) शेठ नगीनभाई वेलाभाई, (२) शेठ केशरीचंद रूपचंद, (३) शा. जीवनचंद साकरचंद अने ( ४ ) बाई वीजकोरे ( शेठ देवचंदनी पुत्रीए ) ईस्वी सन् १९०९मां स्थाप्युं तेमज योग्य व्यवस्था जलवाई रहेवा माटे ( १ ) शेठ नगीनभाई घेला भाई, (२) शेठ केशरीचंद रूपचंद, (३) शा० जीवनचंद साकरचंद, (४) शा० गुलाबचंद देवचंद, ( ५ ) शेठ फुलचंद कस्तूरचंद, अने (६) शा० मंछुभाई साकरचंदने ट्रस्टीओ निमी ट्रस्टडीड कराववामां आव्युं.
महूम शेठनी दिकरी, शेठना मृत्युपत्रनी एक एक्झीक्युट्रेस, अने महूम शा० मूलचंद नगीनदास झवेरीनी विधवा बाई वीजकोरनी, आशरे रू० २५००० (पचीश हजार ) नी रकम बाई वीजकोरना मृत्युपत्रना ट्रस्टीयो तरफथी, ईस्वी सन् १९११ना एक दस्तावेजद्वारा भेट मलवाथी, तथा महूम शेठना भत्रीजा अने फंडना एक ट्रस्टी महूम शेठ नगीनभाई घेला भाई झवेरीना मृत्युपत्रनी रूये रू० २००० ( बे हजार )नी रकम तेमना ट्रस्टी अने एक्झीक्युट्रेस "बाई चंदन उर्फे लीलावती" तरफथी ईस्वी सन् १९२२मां भेट मलवाथी तथा परचुरण व्याजनी रकमो मलवा-वधवाथी फंडनुं भंडोल रू० ११०००० (एक लाख दश हजार ) ना आशरानुं थयुं छे.
फंडनो आन्तरिक उद्देश "जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक धार्मिक-साहित्यनी, जेवुं के प्राकृत, संस्कृत, गुजराती, अंग्रेजी वगैरे भाषामां लखायेलां वंचायेलां प्राचीन पुस्तको, काव्यो, निबन्धो, लेखो वगेरेनी जालवणी, खीलवणी, पुनरुज्जीवन, रक्षण अने अभिवृद्धि करवानो छे." प्राचीनतानी हद विक्रम सं० १९५० पूर्वेनी ट्रस्टडीडमां आंकवामां आवेली छे.
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किश्चिद्वक्तव्य.
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