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प्रवचन०
सूत्रे
॥ ५१६ ॥
विट्ठा भासंति पइत्ति पासवणं ॥ ९६ ॥ एए अन्ने य बहू जेसिं सबेवि सुरहिणोऽवयवा । रोगोवसमसमत्था ते हुंति सओसहि पत्ता ॥ ९७ ॥ जो सुणइ सबओ मुणइ सबविसए उ सबसोएहिं । सुणइ बहुएवि सद्दे भिन्ने संभिन्नसोओ सो ॥ ९८ ॥ रिउ सामन्नं तम्मत्तगाहिणी रिउमई मणोनाणं । पायं विसेसविमुहं घडमेत्तं चिंतियं मुणइ ॥ ९९ ॥ विउलं वत्थुविसेसण नाणं तग्गाहिणी मई विउला । चिंतियमणुसरइ घडं पसंगओ पज्जवसएहिं ॥ १५०० ॥ आसी दाढा तग्गय महाविसाssसीविसा दुविहभेया । ते कम्मजाइभेएण णेगहा चउविहविकप्पा ॥ १ ॥ खीरमहुसप्पिसा ओवमाणवयणा तयासवा हुति । कोट्टयधन्नसुनिग्गलसुत्तत्था कोट्ठबुद्धीया ॥ २ ॥ जो सुत्तपएण बहुं सुयमणुधावर पयाणुसारी सो । जो अत्थपएणडत्थं अणुसरइ स बीयबुद्धीओ ॥ ३ ॥ अक्खीणमहाणसिया भिक्खं जेणाणियं पुणो तेणं । परिभुत्तं चिय विज्जइ बहुएहिवि न उण अन्नेहिं ॥ ४ ॥ भवसिद्धियपुरिसाणं एयाओ हुंति भणियलद्धीओ । भवसिद्धियमहिलाणवि जत्तिय जायंति तं वोच्छं ॥ ५ ॥ अरहंतचक्किकेसवबलसंभिन्ने य चारणे पुवा । गणहरपुलायआहारगं च न हु भवियमहिलाणं | ॥ ६ ॥ अभवियपुरिसाणं पुण दस पुबिलाउ केवलित्तं च । उज्जुमई विडलमई तेरस एयाउ न हु हुंति ॥ ७ ॥ अभवियमहिलाणंपि हु एयाओ हुंति भणियलद्धीओ । महुखीरासवलद्धीवि नेय सेसा उ अविरुद्धा ॥ ८ ॥ २७० द्वारम् ॥
पुरिमकासणनिबिगइयआयंबिलोववासेहिं । एगलया इय पंचहिं होइ तवो इंदियजउत्ति ॥ ९ ॥ निबिगइयमायामं उपवासो इय लयाहिं तिहिं भणिओ । नामेण जोगसुद्धी नवदिणमाणो तवो एसो ॥ १० ॥ नाणंमि दंसणंमि य चरणंमि य तिन्नि तिन्नि पत्तेयं । उववासो तप्पूयापुवं तन्नामगतवंमि ॥ ११ ॥ एक्कासणगं तह निब्बिगइयमायंबिलं अभत्तट्ठो । इय
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२६९-७० नन्दीश्वदीन
गा. १४८२
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