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________________ प्रवचन सूत्रे २१६-१९ कर्मभेदादीनि गा. ॥५०८॥ १२६२-८८ है सत्तहछेगबंधा संतुदया अट्ठ सत्त चत्तारि । सत्तट्ठछपंचदुर्ग उदीरणाठाणसंखेयं ॥ ७६ ॥ बंधेऽट सत्तऽणाउग छविह- ममोहाउ इगविहं सायं । संतोदएसु अट्ठ उ सत्त अमोहा चउ अघाई॥७७॥ अट्ठ उदीरइ सत्त उ अणाउ छबिहमवेयणीआऊ । पण अवियणमोहाउग अकसाई नाम गोत्तदुगं ॥ ७८ ॥ बंधे वीसुत्तरसय १२० सयबावीसं तु होइ उदयंमि १२२ । उदीरणाएँ एवं १२२ अडयालसयं तु सन्तमि १४८॥ ७९ ॥ २१७ द्वारम् ॥ ___ मोहे कोडाकोडीउ सत्तरी वीस नामगोयाणं । तीसिअयराण चउण्हं तेत्तीसऽयराई आउस्स ॥ ८०॥ एसा उक्कोसठिई | इयरा वेयणिय बारस मुहुत्ता। अट्ठट्ट नामगोत्तेसु सेसएसुं मुहत्तंतो॥८१॥ जस्स जइ कोडकोडीउ तस्स तेत्तियसयाई वरिसाणं । होइ अबाहाकालो आउम्मि पुणो भवतिभागो ॥ ८२॥ २१८ द्वारम् ॥ o सायं १ उच्चागोयं २ नरतिरिदेवाउ ५ नाम एयाओ । मणुयदुर्ग ७ देवदुगं ९ पंचिंदियजाइ १० तणुपणगं १५॥८॥ अंगोवंगतिगंपि य १८ संघयणं वज्जरिसहनारायं १९ । पढम चिय संठाणं २० वन्नाइचउक्क सुपसत्थं २४ ॥ ८४ ॥ अगु||रुलहु २५ पराघायं २६ उस्सासं २७ आयवं च २८ उज्जोयं २९ । सुपसत्था विहगगई ३० तसाइदसगं च ४० निम्माणं | ४१॥ ८५॥ तित्थयरेणं सहिया पुन्नप्पयडीओं हुँति बायाला ४२ । सिवसिरिकडक्खियाणं सयावि सत्ताणमेयाउ ॥८६॥ | २१९ द्वारम् ॥ | नाणंतरायदसगं १० देसण नव ९ मोहपयइ छवीसा २६। अस्सायं निरयाउं नीयागोएण अडयाला ॥८७॥ नरयदुगं २ तिरियदुर्ग ४ जाइचउक्कं ८ च पंच संघयणा १३ । संठाणावि य पंच उ १८ वन्नाइचउक्कमपसत्थं २२॥ ८८॥ उव ॥५०८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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