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________________ असमुवरि इगवन्ना सा३ ॥ हेडाओ वाहात सबलोगम्मि ॥ ९०७ ॥ पुणरवि सोलस दोसुं बारस दोसुपि हुँति नायबा । तिसु दस तिसु अट्ट च्छा य दोसु दोसुपि चत्तारि ॥९०८॥ ओयरिय लोयमज्झा चउरो चउरो य सबहिं नेया । तिग तिग दुग दुग एक्किक्कगो य जा सत्तमी पुढवी ॥ ९०९॥ अडवीसा छबीसा चउवीसा वीस सोल दस चउरो । सत्तासुवि पुढवीसुं तिरियं खण्डुयगपरिमाणं ॥ ९१० ॥ पंच सय बार सुत्तर हेट्ठा तिसया उ चउर अन्भहिया । अह उडे अट्ठ सया सोलहिया खंडुया सवे ॥ ९११॥ बत्तीसं रज्जूओ हेट्ठा दरुयगस्स हुंति नायवा । एगोणवीसमुवरि इगवन्ना सवपिंडेणं ॥९१२ ॥ दाहिणपास दुखंडा वामे संधिज विहिय विव रीयं । नाडीजुया तिरजू उड्डाहो सत्त तो जाया ॥ ९१३ ॥ हेट्ठाओ वामखंडं दाहिणपासंमि ठवसु विवरीयं । उवरिम तिरजुखंडं वामे ठाणमि संधिज्जा ॥९१४ ॥ तिन्नि सया तेयाला रजूणं हंति सबलोगम्मि । चउरंसं होइ जयं सत्तण्ह घणेणिमा संखा ॥ ९१५ ॥ छसु खंडगेसु य दुगं चउसु दुगं दससु हुँति चत्तारि । चउसु चउकं गेवेज्जणुत्तराई चउकमि | ॥९१६॥ सयंभुपुरिमंताओ, अवरंतो जाव रज्जुओ । एएण रज्जुमाणेण, लोगो चउदसरजुओ॥ ९१७ ॥ १४३ द्वारम् ॥ | सन्नाउ तिन्नि पढमेऽत्थ दीहकालोवएसिया नाम । तह हेउवायदिट्ठीवाउवएसा तदियराओ ॥ ९१८ ॥ एयं करेमि एयं कयं मए इममहं करिस्सामि । सो दीहकालसन्नी जो इय तिक्कालसन्नधरो ॥ ९१९ ॥जे उण संचिंतेउं इटाणिद्वेसु | विसयवत्थूसुं । वत्तंति नियत्तंति य सदेहपरिपालणाहे ॥ ९२० ॥ पाएण संपइच्चिय कालंमि न यावि दीहकालंमि । ते ४ हेउवायसन्नी निच्चेट्ठा हुंति हु असन्नी ॥ ९२१॥ सम्मदिट्ठी सन्नी संते नाणे खओवसमिए य । अस्सन्नी मिच्छत्तमि | दिद्विवाओवएसेणं ॥ ९२२ ॥ १४४ द्वारम् ॥ वेजए tortor GUSTROLOROSMAURUSALA Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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