SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 552
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रवचन ० सूत्रे ॥ ४८२ ॥ दायगु ६ मिस्से ७ । अपरिणय ८ लित्त ९ छड्डिय १० एसणदोसा दस हवंति ॥ ५६८ ।। पिंडेसणा य सबा संखित्तोयरइ नवसु कोडीसु । न हणइ न किणइ न पयइ कारावणअणुमईहि नव ॥ ५६९ ॥ कम्मुद्देसियचरिमे तिय पूइयमी - | सचरिमपाहुडिया । अज्झोयर अविसोही विसोहिकोडी भवे सेसा ॥ ५७० ॥ इरिया १ भासा २ एसण ३ आयाणाईसु ४ तह परिट्ठवणा ५ । सम्मं जा उ पवित्ती सा समिई पंचहा एवं ।। ५७१ ॥ पढममणिच्च १ मसरणं २ संसारो ३ एगया य ४ अन्नत्तं ५ । असुइत्तं ६ आसव ७ संवरो ८ य तह निजरा ९ नवमी ॥ ५७२ ॥ लोगसहावो १० बोहि य दुलहा ११ धम्मस्स साहओ अरहा १२ । एयाउ हुंति बारस जहकमं भावणीयाओ ॥ ५७३ ॥ मासाई सत्ता ७ पढमा ८ बिइ ९ तइय सत्तराइदिणा १० । अहराइ ११ एगराई १२ भिक्खूपडिमाण बारसगं ॥ ५७४ ॥ पडिवज्जइ एयाओ संघ| यणधिइजुओ महासत्तो । पडिमाओ भावियप्पा सम्मं गुरुणा अणुन्नाओ || ५७५ ॥ गच्छेश्चिय निम्माओ जा पुवा दस भवे असं पुण्णा । नवमस्स तइय वत्थं होइ जहण्णो सुआभिगमो ॥ ५७६ ॥ वोसट्टचत्तदेहो उवसग्गसहो जहेव जिणकप्पी । एसण अभिग्गहीया भत्तं च अलेवडं तस्स ॥ ५७७ ॥ गच्छा विणिक्खमित्ता पडिवज्जइ मासियं महापडिमं । दत्तेगा भोयणस्सा | पाणस्सवि तत्थ एग भवे ॥ ५७८ ॥ जत्थत्थमेइ सूरो न तओ ठाणा पर्यपि संचलइ । नाएगराइवासी एगं च दुगं च अण्णाए | ॥ ५७९ ॥ दुट्ठाण हत्थिमाईण नो भएणं पयंपि ओसरइ । एमाइनियमसेवी विहरइ जाऽखण्डिओ मासो ॥ ५८० ॥ पच्छा गच्छमुवेई एव दुमासी तिमासि जा सत्त । नवरं दत्ती बढइ जा सत्त उ सत्तमासीए ॥ ५८१ ॥ तत्तो य अट्ठमीया भवई इह पढम सत्तराइंदी । तीइ चउत्थचउत्थेणऽपाणएणं अह विसेसो ॥ ५८२ ॥ उत्ताणगपासल्ली नेसज्जी वावि ठाण ठाइत्ता । Jain Education International For Private & Personal Use Only चरणकर सतती ६६-७ ।। ४८२ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy