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________________ ल SAUR ड काउस्सग्गे लयच लणाहि ॥२४४॥ पंचुम्बरि चउविगैई हिम विस करगे य सबमट्टी य । रयणीभोयणेगं चिय बहुबीय अणंतसंधाणं ॥२४५।। राघोलवडा वायंगणे अमुणिअनामाणि फुल्लफलयाणि । तुच्छफैलं चलियरसं वजह वजाणि बावीसं ॥ २४६॥ ४ द्वारम् ॥ - घोडगं लया य खम्भे कुड्ढे माले य सबैरि वहुनियेले । लंबुत्तर थण उड्डी संजय खंलिणे य वायस कविद्वे १४ ॥२४७॥ सीसोकंपिय मुंई अंगुलिभमुहाँ य वारुणी पेही । एए काउस्सग्गे हवंति दोसा इगुणवीसं ॥ २४८॥ आसोब विसमपायं आउंटावित्तु ठाइ उस्सग्गे । कंपइ काउस्सग्गे लयच खरपवणसंगेणं ॥ २४९ ॥ खंभे वा कुड्डे वा अवठंभिय कुणइ काउसग्गं तु । माले य उत्तमंग अवठंभिय कुणइ उस्सग्गं ॥ २५० ॥ सबरी वसणविरहिया करेहि सागारिअं जह ठएइ । ठइऊण गुज्झदेसं करेहि इअ कुणइ उस्सग्गं ॥ २५१ ॥ अवणामिउत्तमंगो काउस्सग्गं जहा कुलवहुब । नियलियआ विव चरणे वित्थारिय अहव मेलॅविउं ॥ २५२ ॥ काऊण चोलपट्टे अविहीए नाहिमंडलस्सुवरि । हेट्ठा य जाणुमेत्तं चिट्ठ लंबुत्तरुस्सग्गं ॥ २५३ ॥ पच्छाइऊण य थणे चोलगपट्टेण ठाइ उस्सग्गं । साइरक्खणट्ठा अहवाऽणाभोगदोसेणं ॥२५४॥ मेलित्तु पण्हियाओ चलणे वित्थारिऊण बाहिरओ । काउस्सग्गं एसो बाहिरउड्डी मुणेयबो ॥ २५५ ॥ अंगुट्टे मेलविलं वित्थारिय पण्हिआउ बाहिति । काउस्सग्गं एसो भणिओ अभितरुद्धित्ति ॥ २५६ ॥ कप्पं वा पट्ट वा पाउणि संजइब उस्सग्गं । ठाइ य खलिणं व जहा रयहरणं अग्गओ काउं ॥ २५७ ॥ भामेइ तह य दिढि चलचित्तो वायसोब उस्संग्गे। छप्पइयाण भएणं कुणइ य पढें कविठं ॥२५८॥ सीसं पकंपमाणो जक्खाइट्ठोब कुणइ उस्सँग्गं । मूउब हुयंतो तहेव छिजतमाईसु ॥ २५९ ॥ अंगुलिभमुहाओऽवि अ चालितो कुणइ तह य उस्सग्गं । आलाषगगणणटुं संठवणत्थं चली २५० ॥ सबरी वसणजहा कुलवह Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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