SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीगौतम-2| धन्य पिता जिणे कुल अवतरिया, धन्य सद्गुरु जिणे दिक्खिया ए। विनयवंत विद्याभंडार, II रास // स्वामि। जस गुण कोई न लब्भे पार, विद्यावंत गुरु वीनवे ए // 60 // गौतमस्वामितणो ए रास, भणतां // 18 // सुणतां लीलविलास, सासय सुख निधि संपजे ए / गौतमस्वामिनो रास भणीजे, चउविहसंघ रलियायत कीजे, ऋद्धिवृद्धिकल्याण करो // 61 // इति // सर्वमंगलमांगल्यं, सर्वकल्याणकारणम् / प्रधानं सर्वधर्माणां, जैनं जयति शासनम् // 1 // // श्रीगौतमस्वामिरास संपूर्ण / -- -- -- श्रीदीवालि-पर्व- गणj नो०२०-श्रीमहावीरस्वामिसर्वज्ञाय नमः-आ पदनुं पहेली रात्रे आठ वागे गणणुं गणवू. नो० २०–श्रीमहावीरस्वामिपारंगताय नमः-आ पदनुं गणवू, बाद श्रीमहावीर निर्वाणना पाछली रात्रे देव वांदवा. नो० २०-श्रीगौतमस्वामिसर्वज्ञाय नमः-आ पदनी गणवी अने प्रभाते देव वांदवा. G // 18 // SEARCRAKASHAIL PRECALCHECRECRUAROCHAKARANA Jain Education Interation For Private Personel Use Only G wjainelibrary.org
SR No.600104
Book TitleNavsmaranani
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year
Total Pages36
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy