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नाणस्स केवलीणं धम्मायरिआण सवसाहणं। भासं अवण्ण माई किविसियं भावणं कुणइ ॥१६३६॥ पडि. काया वया यते चिअते चेव पमाय अप्पमाया योमोक्खाहिआरिआणं जोइसजोणीहिं किं कजं?॥१६३७॥दारं सब्वेविण पडियोहेइण याविसेसेण देइ उवएसं। पडितप्पइ ण गुरूणविणाओ अइणिहिअट्ठो उ॥१६३८॥दा०13 जच्चाईहिं अवण्णं विहसइ वट्टइ णयावि उववाए।अहिओछिद्दप्पेही पगासवाई अणणुलोमो॥१६३९॥दारं॥
अविसहणा तुरियगई अणाणुवित्ती अ अवि गुरूणपि।। . खणमित्तपीइरोसा गिहिवच्छलगा य संचइआ॥ १६४०॥ दारं ॥ गृहइ आयसहावं छायइ अ गुणे परस्स संतेवि । चोरो छ सघसंकी गूदायारो हवइ मायी ॥१६४१॥ दारं ॥
कोउअ भूईकम्मे पसिणा इअरे णिमित्तमाजीवी।
इड्डिरससायगुरुओ अभिओगं भावणं कुणइ ॥१६४२॥ पडिदारं ॥ विम्हवणहोमसिरपरिरयाइ खारडहणाणि धूमे अ । असरिसवेसग्गहणा अवयासण धंभणंबंधं ॥१६४३॥दारं।। भूईअ महिआए सुत्तेण व होइ भूइकम्मं तु । वसहीसरीरभंडगरक्खा अभिओगमाईआ॥१६४४॥ दारं॥
पण्हो उ होइ पसिणं जं पासइ वा सयं तु तं पसिणं ।
अंगुहच्छिट्टपए दप्पणे अ असितोअकुडाई (कुद्धाई॥ पा.)॥१६४५ ॥ दारं ॥ पसिणापसिणं सुमिणे विजासिटुं कहइ अण्णस्स । अहवा आईखणिआघंटिअसिढेपरिकहेइ ॥१६४६॥ दारं॥
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