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________________ Jain Education विसिकजभावो अणई अविसिहकारणत्ताओ। एगंत भेअपक्खे निअमा तह भेअपक्खे अ ॥ १०८७ ॥ fish asia ण घst तप्फलमणई अपिंड भावाओ । तयईअन्ते तस्स उ तहभावा अन्नयाइत्तं ॥ १०८८ ॥ एवंविहो उ अप्पा मिच्छत्ताईहिं बंधई कम्मं । सम्मत्ताईएहि उ मुचइ परिणामभावाओ ।। १०८९ ॥ सकडुवभोगोऽवेवं कहंचि एगाहिकरणभावाओ । इहरा कत्ता भोत्ता उभयं वा पावइ समावि ॥ १०९० ॥ des जुवाकयं वुट्टो चोराइफलमिहं कोई । ण य सो तओ ण अन्न पचखाईपसिद्धीओ ॥ १०९१ ॥ णय णाणण्णो सोऽहं किं पत्तो ? पावपरिणइवसेणं । अणुहवसंघाणाओ लोगागमसिद्धिओ चेव ।। १०९२ ॥ इअ मणुआइभवकथं वेअइ देवाइभगवओ अप्पा । तस्सेव तहाभावा सवमिणं होइ उबवण्णं ।। १०९३ ॥ एतेण उ निचोsणिचो वा कह णु वेअई सकडं । एगसहावत्तणओ तयणंतरनासओ चेव ॥ १०९४ ॥ जीवसरीराणंपि हु भेआभेओ तहोवलंभाओ । मुत्तामुत्तत्तणओ छिक्कम्मि पवेअणाओ अ ॥ १०९५ ॥ उभयको भय भोगा तयभावाओ अ होइ नायवो । बंधाइविसयभावा इहरा तयसंभवाओ अ ॥ १०९६ ॥ एत्थ सरीरेण कडं पाणवहासेवणाऍ जं कम्मं । तं खलु चित्तविवागं वेएइ भवंतरे जीवो ॥ १०९७ ॥ न उतं चैव सरीरं णरगाइसु तस्स तह अभावाओ । भिन्नकडवे अणम्मि अ अहम्पसंगो बला होइ ॥ १०९८ ॥ एवं जीवेण कडं कूरमणपयएण जं कम्मं । तं पइ रोहविवागं वेएइ भवंतरसरीरं ।। १०९९ ॥ केवलओ जीवो तेण विमुक्कस्स वेयणाभावो । ण य सो चेव तयं खलु लोगाइविरोह भावाओ ॥ ११०० ॥ ional For Private & Personal Use Only linelibrary.org
SR No.600102
Book TitlePanchvastuka Granth
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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