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________________ श्रीपश्चव. ३ वयठ उपकरणानि वणा ..उण सवास । एसेव होइ निअमा पकप्पभासे जो भणि ॥२७॥ MordNCESARGAMMAR तिण्णेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपोती। एसो दुवालसविहो उवही जिणकप्पियाणं त क बारसविहोऽवि एसो उक्कोस जिणाण न उण ससि । एसेव होइ निअमा पकप्पभासे जओ भणिअं॥७७४|| बिअतिअचउक्कपणगं नवदसएक्कारसेव वारसगं। एए अट्ठ विअप्पा उवहिमि उ होंति जिणकप्पे ॥७७६॥ रयहरणं मुहपोत्ती दुविहो कप्पेकजुत्त तिविहो उ । रयहरणं मुहपोत्ती दुकप्प एसो चउद्धा उ ।। ७७६॥ तिपणेव यं पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपोती। पाणिपडिग्गहिआणं एसो उवही उ पंचविहो॥७॥ पत्तगधारीणं पुण णवाइभेया हवंति नायवा । पुत्रुत्तोवहिजोगो जिणाण जा बारसुक्कोसो॥७७८ ॥ एए चेव दुवालस मत्तग अइरेग चोलपट्टो अ। एसो अ चोद्दसविहो उवही पुण थेरकप्पंमि ॥ ७७९॥ पत्तं पत्ताबंधो पायट्ठवणं च पायकेसरिआ । पडलाइँ रयत्ताणं गोच्छओ पायणिज्जोगो ॥ ७८०॥ एए चेव उ तेरस अभिन्नरूवा हवंति विणेआ। उवहि विसेसा निअमा चोद्दसमे कमढए चेव ॥ ७८१॥ उग्गहऽणतगपट्टो अड्रोरुअ चलणिआ य बोद्धवा । अभितरवाहिणिअंसणी अ तह कंचुए चेव ॥ ७८२॥ ओकच्छिअवेकच्छिअ संघाडी चेव खंधकरणी अ। ओहोवहिम्मि एए अजाणं पण्णवीसं तु ॥ ७८३ ॥ एसो पुण सवेसिं जिणाइआणं तिहा भवे उवही । उक्कोसगाइभेओ पच्छित्ताईण कजम्मि ॥ ७८४ ॥ उक्कोसओ चउद्धा चउ छद्धा होइ मज्झिमो उवही । चउहा चेव जहण्णो जिणथेराणं तयं वोच्छं ॥७८५ ॥ तिन्नेव य पच्छागा पडिग्गहो चेव होइ उक्कोसो। गोच्छय पत्तगठवणं मुहणंतग केसरि जहण्णो ॥ ७८६॥ CROCOCOCCARDAGACASCAC4 २७०॥ JainEducation For Private Personel Use Only inelibrary.org
SR No.600102
Book TitlePanchvastuka Granth
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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