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________________ Jain Educatio मूलुत्तरगुणसुद्धं थीपसुपंडगविवज्जि वसहिं । सेविज सवकालं विवज्जए होंति दोसा उ ॥ ७०६ ॥ पट्टीवंसो दो धारणा चत्तारि मूलवेलीओ । मूलगुणेहुववेआ एसा उ अहागडा वसही ॥ ७०७ ॥ वंसगकडणोकंपण छावणलेवणदुवारभूमीए । सप्परिकम्मा वसही एसा मूलत्तरगुणे ॥ ७०८ ॥ दूमिअ धूमिअ वासिअ उज्जोविअ बलिकडा अवत्ता य। सित्ता सम्मट्ठाऽविअ विसोहिकोडी गया वसही ॥७०९ ॥ चाउस्सालाईए विन्नेओ एवमेव उ विभागो । इह मूलाइगुणाणं सकखा पुण सुण ण जं भणिओ ॥ ७१० ।। विहरताणं पायं समन्तकज्जाण जेण गामेसुं । वासो तेसु अ वसही पट्ठाइजुआ तओ तासिं ॥ ७११ ॥ कालात १ उावणा २ऽभिकंत ३ अणभिकता ४ य । वजा ५ महावज्जा ६ सावज्ज ७ मह ८ प्यकिरिआ ९ य ॥ ७१२ ॥ उमासं समईआ कालाईआ उ सा भवे सिज्जा । सा चेव उवद्वाणा दुगुणा दुगुणं अवजित्ता ॥ ७१३ ॥ जावंति उ सिज्जा अन्नेहि निसेविआ अभियंता । अन्नेहि अपरिभुत्ता अणभियंता उ पविसंतो ।। ७१४ ॥ अत्तट्टकर्ड दाउँ जईण अन्नं करिंति वज्जा उ । जम्हा तं पुचकडं वज्रंति तओ भवे वज्जा ॥ ७१५ ॥ पाखंडकारणा खलु आरंभी अहिणवो महावज्जा। समणट्ठा सावज्जा महसावज्जा य साहूणं ॥ ७१६ ॥ जा खलु जहुत्तदोसेहिं वज्जिआ कारिआ सयट्ठाए । परिकम्मविप्यमुक्का सा वसही अप्पकिरिआ उ ॥७१७॥ एत्थ य सट्टा आ जा णिअभोगं पहुच कारविआ । जिणबिंबपइट्ठत्थं अहवा तकम्मतुल्लति ॥ ७१८ ॥ national For Private & Personal Use Only ainelibrary.org
SR No.600102
Book TitlePanchvastuka Granth
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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