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-COCOCAAMADAM
अइगुरुओ मोहतरू अणाइभवभावणाविअयमूलो। दुक्खं उम्मूलिजइ अच्चंत अप्पमत्तेहिं ॥४॥ संसारविरत्ताण य होइ तओ न उण तयभिनंदीणं । जिणवयणंपि न पायं तेसिं गुणसागं होइ ॥४१॥ गुरुकम्माणं जम्हा किलिङ्कचित्ताण तस्स भावत्थो। नो परिणमेइ सम्म कुंकुमरागोच्च मलिणम्मि॥४२॥ विट्ठाण सूअरो जह उवएसेणऽविन तीरए धरि । संसारसूअरो इअ अविरत्तमणो अकजम्मि ॥४३॥ ता धनाणं गीओ उवाहिसुद्धाण देइ पवजं । आयपरपरिचाओ विवजए मा हविज्जत्ति ॥४४॥ अविणीओ न य सिक्खा सिक्खं पडिसिद्धसेवणं कुणइ।सिक्खावणेण तस्स हुऽसइ अप्पा होइ परिचत्तो४५ तस्सऽविय अदृशाणं सद्धाभावम्मि उभयलोगेहिं। जीविअमहलं किरियाणाएणं तस्स चाओत्ति ॥४६॥ जह लोअम्मिवि विजो असझवाहीण कुणइ जो किरियं । सो अप्पाणं तह वाहिए अ पाडेइ केसम्मि॥४७॥ तह चेव धम्मविज्जो एत्थ असज्झाण जो उ पवजं । भावकिरिअं पउंजइ तस्सवि उवमा इमा चेव ॥४८॥ जिणकिरिआएँ असज्झा ण इत्थ लोगम्मि केइ विजंति। जे तप्पओगजोगा ते सज्झा एस परमत्थो॥४९॥3 एएसि वयपमाणं अट्ठ समाउत्ति वीअरागेहिं । भणियं जहन्नयं खलु उक्कोसं अणवगल्लोत्ति ॥५०॥ तदहो परिभवखित्तं ण चरणभावोऽवि पायमेएसिं । आहच्चभावकहगं सुत्तं पुण होइ नायवं ॥५१॥ केई भणंति बाला किल एए चयजुआऽवि जे भणिया। खुडगभावाउ च्चिय नहुँति चरणस्स जुग्गुत्ति ॥१२॥ अन्ने उ भुत्तभोगाणमेव पच जमणहमिच्छति । संभावणिजदोसा वयम्मि जं खुडगा होति ॥५३॥
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