________________
हाविय वत्थकंबले पडिलेहिय सज्झायं करेइ, जो पुण अभत्तट्ठी सो सम्वोवहिअंते पहिरणगं, साविया पुण
गोसि व्व उवहिं पडिलेहेइ, कालवेलाए पुण खमासमणपुब्वं सञ्झाए अंतो बहिं च बारस बारस काइय॥९२॥ 18 उच्चारभूमीओ पेहेइ यतः-"बारस बारस तिन्नि अ, काइअउच्चारकालभूमीओ । अंतो बहिँ अहिआसे, अणहिआसेण पडिलेहा ॥१॥"
स्थापना वडी नीति संथारानइं समीपिं
लघुनीति आगाढे आसन्ने उच्चारे पासवणे अणहियासे १
आगाढे आसन्ने पासवणे अणहियासे १ आगाढे मज्झे उच्चारे पासवणे अणहियासे २
आगाढे मज्झे पासवणे अणहियासे २ आगाढे दूरे उच्चारे पासवणे अणहियासे ३
आगाढे दूरे पासवणे अणहियासे ३ उपाश्रयनां बार मांहिलई पासई आगाढे आसन्ने उच्चारे पासवणे अहियासे १
आगाढे आसन्ने पासवणे अहियासे १ आगाढे मझे उच्चारे पासवणे अहियासे २
आगाढे मज्झे पासवणे अहियासे २ आगाढे दूरे उच्चारे पासवणे अहियासे ३
आगाढे दूरे पासवणे अहियासे ३ उपाश्रयद्वार बाहिरलई पासई
॥९२॥
JainEducationing
For Private Personel Use Only
jainelibrary.org