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________________ सुमति साधु IMA श्री दशबैक श्रीकालिकसत्रनी गणना (त्रीजा) मूल सूत्रमा थाय छे. श्रीदशकालिकसूत्रना को श्रीशय्यंभवसरि (सधर्मास्वामीना शिष्य जंबूस्वामीना शिष्य प्रभवस्वामीना शिष्य ) छे. श्रीदर्शवकालिकसूत्र प्राकृतमा श्लो. ७०० प्रमाण छे. तेमने पोताना पुत्र मनकना ढूंका आयुष्यने जाणीने तेना माटे आ सूत्र | बनाव्यं. तेमा साधना आचारना विषयोनो संग्रह छे. आ सूत्रमा दश अध्ययन छे. तेमां पण चार अध्ययनो तो जरुर साधए । भणवां ज जोइए. श्रीदशवकालिकसूत्रना अंते ' रतिवाक्या' अने ' विविक्तचयों' नामनी बे चूलिका छे. ते महाविदेह क्षेत्रमा विचरता सीमंधरस्वामीए आपेली छे, जे साधु मुनिमहाराजाओने संयममा स्थिर करे छे. 'श्रीदशवकालिक सूत्र' उपर भद्रवाह स्वामीनी नियुक्ति गा. ४४५ श्लोक ५५० प्रमाण छे. वळी भाष्य पण छे. श्रीदशकालिकसूत्र उपर ७००० श्लोकप्रमाण चूर्णि छे. श्रीऋषमदेवजी केशरीमलजीनी पेढी-रतलाम तरफथी प्रकाशित थयेली छे. तेना कर्ता जिनदासगणिमहत्तर छे. आचार्य श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरजी संशोधित छे. श्रीदशवैकालिकसूत्र बृहदवत्ति आचार्य श्रीहरिभद्रसूरिजीए ७५५०, ६८५० (श्लोकसंख्या भिन्न जाणवामां आवी छे.) श्लोकप्रमाण टीका रची छे ते मल, नियुक्ति ने भाष्य उपरनी छे. ते समप्र बृहबृत्ति साथे आ ज फंड तरफथी प्रकाशित थयेली छे. ते आचार्य श्रीआनन्दसागरसरिजी संशोधित छे. श्रीदशवकालिकसूत्र उपर श्रीतिलकाचार्ये संवत् १३४६ मा ७००० श्लोकप्रमाण वृत्ति रची छे. ते पाटण वगेरे स्थळे छे. वृत्ति अप्रसिद्ध छे. सं. १६९१ मा उपाध्याय श्रीसमयसुंदरजीए 'शब्दार्थवृत्ति' नामनी टीका रची छे. श्रीजिनयशासरि - ग्रंथमालामां छपाई छे. शोकप्रमाण ३०३३ प्रमाणनी छे. श्रीदशकालिकासूत्र उपर 'लघुवृत्ति' २६०० (३६००) श्लोकप्रमाणनी Jain Education International For Private Personal Use Only
SR No.600093
Book TitleDashvaikalikam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchanvijay, Kshemankarsagar
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1954
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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