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________________ Jain Education Inte बृहत्स्थितिकत्वात् एवं नक्षत्रेभ्यो महा महर्द्धिकाः, महेभ्यः सूर्या महार्द्धिकाः, सूर्येभ्यश्चन्द्रा महर्द्धिकाः, एवं सर्वाल्पर्द्धयस्तारा: सर्वमहर्द्धयश्चन्द्राः ॥ सम्प्रति जम्बूद्वीपे ताराणां परस्परमन्तरप्रतिपादनार्थमाह जंबूदीवे णं भंते! दीवे तारारूवस्स २ एस णं केवतियं अवाधाएं अंतरे पण्णत्ते ?, गोयमा ! दुबिहे अंतरे पण्णत्ते, तंजहा - वाघातिमे य निव्वाघाइमे य, तत्थ णं जे से वाघातिमे से जहणेणं दोणिय छावढे जोयणसए उक्कोसेणं वारस जोयणसहस्साइं दोणि य वायाले जोयणसए ताराख्वस्त २ य अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । तत्थ णं जे से णिव्वाघातिमे से जहणणं पंचधणुसयाई उकोसेणं दो गाउयाई तारारूव जाव अंतरे पण्णत्ते । (सू०२०१) चंदस्स णं भंते! जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो कति अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ?, गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तंजहा - चंदप्पा दोसिणाभा अचिमाली पभंकरा, एत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि चत्तारि देवसाहसीओ परिवारे य, पभू णं ततो एगमेगा देवी अण्णा चत्तारि २ देविसहरसाई परिवारं विवित्तए, एवामेव सपुचावरेणं सोलस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ से तंतुडिए । (सू०२०२) पभू णं भंते! चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिँसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदसि सीहासांसि तुडिएण सद्धिं दिव्वाई भोग भोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ?, णो तिट्टे समट्ठे । सेकेणणं भंते! एवं बुच्चति नो पभू चंदे जोतिसराया चंडवडेंसए विमाणे सभाए सुधम्माए For Private & Personal Use Only jainelibrary.org
SR No.600089
Book TitleJivajivabhigamopanga Sutra
Original Sutra AuthorChaturdash Purvadhar
AuthorMalaygiri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1919
Total Pages938
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_jivajivabhigam
File Size20 MB
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