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सिरिसंतिनार
उप्पाडिऊण इंदा अवंति चियगाए मज्झयारम्मि । नाणाविहे य गंधे चुण्णे धूवे य घत्तंति ॥ १०७॥ ७४१७॥ सेसजईण य किचं कुणति बेमाणिया असेसं पि । तत्तो अग्गिमुहेहिं मुहेण खित्तो तहिं जलणो ॥ १०८ ॥ ७४१८ ॥ वाउकुमारा वि तओ देवा पञ्जालयंति चियगाओ । विउरुव्विऊण, सुहसुरहिमंथर पवणसंघायं ॥१०९॥७४१९ ॥ तत्तो य मंस - रुहिरम्मि झामिए सुरहि- सीयलं सलिलं । मोत्तुं मेहमुहेहिं झडत्ति विज्झाविया चियया ॥ ११०॥७४२०॥ तत्तो य दाहिणिल्लं सक्को उवरिल्लयं हणुं लेइ । चमरो य दाहिणिल्लं हेट्टिल्लं गेण्हए हणुहं ॥ १११ ॥७४२१ ॥ वामं ईसाणिंदो उवरिमयं, अहरिमं बली लेइ । अवसेसा अडवीसं कमेण गेव्हंति सुरणाहा ॥ ११२ ॥ ७४२२ ॥ सेट्ठियाणि देवा रक्खं विज्जाहरा नरा लेति । ताओ सकहाओ इंदा माणवयक्खंभमज्झमि ॥ ११३ ॥ ७४२३ ॥ यदंतसु विया सिक्कयमज्झम्मि गोलयसमुग्गा । बइरमया चिट्टंती तेसु पयत्तेण ठार्वेति ॥११४॥ ७४२४॥ पूयंतिय पइदियहं अह को वि पराभवं जइ करेजा । तो पक्खालिय ताओ सलिलेण कुणति नियरक्खं ॥ ११५ ॥ ७४२५ ॥ एवं कसक्कारातियसिंदा जिणवरिंददेहस्स । तत्तो य तम्मि ठाणे रयंति थूभं महारम्मं ॥ ११६ ॥ ७४२६ ॥ मणि-कण - रयणघडियं तस्स य उवरिम्नि संतिणाहस्स । कणगमई बरपडिमं काउं पूयंति भत्तीए ॥११७॥ ७४२७ ॥ तत्तोय जंति नंदीसरम्मि सव्वे सुराऽसुरा झत्ति । सासयजिणभवणेसुं कुणंति अट्ठाहियामहिमं ॥ ११८ ॥ ७४२८ ॥
१. लिंति पा० विना ॥
सिरिसंतिजिणिदस्स णिव्वाणं
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