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सिरिसंतिनाहचरिए
पढमा काइयकिरिया; अहिगरणम्मि य पुणो भवे बीया । तइय पओस, चउत्थी परितावे, पंचम वहम्मि ॥१० ॥ ७२८५ ॥ सद्द-रस-रूब-गंधे फासे बज्रेह कामगुणपणगं । पांणवहविरमणाई महव्यए पंच पालेह ॥११॥७२८६ ॥ सेवह समिईपणगं इरिया-भासेसणा तइज्जा उ । भंडग-आयाणगहे, परिष्वणे पंचमा होई ॥१२॥ ७२८७ ॥ पुढवि-दग-अगणि-मारुय-वण-तसजियछक्कयं तु रक्खेह । लेसाछक्के तियगं वजह तियगं च धारेह ॥१३॥७२८८॥ किण्हा-नीला-काऊतियगं लेसाण होइ अपसत्थं । तेऊ पम्हा सुक्का लेसातियगं पसत्थमिणं ॥ १४ ॥ ७२८९ ॥ इह-परलोगाऽऽयाणम-कम्हा-आजीव- मरणमसिलोए । सत्तभयट्ठाणाई परिहरह सया पयत्तेण ||१५|| ७२९० ॥ अटु य मयाणाई दूरदूरेण चयह पावाई । जाई कुल बल रूबे तब ईसरिए सुए लाभ ॥ १६ ॥ ७२९१ ॥ वसहि-कह- निसिज्जिंदिय-कुडुंतर पुव्यकीलिय-पणीए । अच्चाहार-विहूसण पालह नवबंभगुत्तीओ ॥१७॥ ७२९२॥ खंताइदसपयारं पडिवज्जह समणधम्ममणवज्रं । फासह सद्दहह तहा गिहत्थपडिमाओ एगदस ॥१८॥७२९३॥ दंसणवय-सामाइय-पोसहपडिमा अबंभ सच्चित्ते । आरंभ-पेस-उद्दिदु वज्रए समणभूए य ॥ १९ ॥ ७२९४ ॥
एयाओ गिहत्थाणं एक्कारस होति एत्थ पडिमाओ । बारस भिक्खूपडिमा पालह निचं चिय इमाओ ||२०|| ७२९५॥ मासाईसत्तं ता पढेमा विति तइय सत्त राइदिणा । अहराइ एगराई भिक्खूपडिमाण बारसगं ॥२१॥७२९६॥
१. दृश्यतां चतुर्थ परिशिष्टम् ॥ २. °निसेज्जे पा० ॥। ३. विभूषण पा० विना ।। ४. पढमाए तिसत्तराइ जे० ॥
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पढमगणहरस्स
चक्काउहमुणि
दस्स देणा
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