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________________ सिरिसंतिनाहचरिए जंपइ गुरू वि 'भद्दे ! मा हु पमायं करेन्जसु खणं पि' । 'इच्छं' ति भाणिऊणं जाइ इमा तत्थ ठाणम्मि ॥६१।६१६१ ॥ जत्थ जणयाइयाणं सयणसमग्गाण वट्टइ विवाओ । विन्नवइ 'मा विवायं करेह एयम्मि कम्मि ||६२ ॥ ६१६२ ॥ जम्हा हु सव्वविरई अज्ज गहिस्सामि गुरुसमीवम्मि । जेणं तुम्ह विवाओ फिट्टइ एयम्मि विसयम्मि' ||६३ ॥६१६३॥ इय जंपियम्मि सयणो भणइ 'अहो ! कन्नयाविबेओ त्ति । जेण विवायं दहुं, मुंचइ सव्वं पि विसयसुहं ॥ ६४ ॥ ६१६४ ॥ ता एवं चिय जुत्तं इमम्मि एवंविहम्मि पत्थावे । अहह ! इमो निव्वलिओ सुहेण विसमो वि हु विवाओ' ॥ ६५ ॥ ६१६५ ।। मन्नित्ता तव्ययणं विवाहसामग्गियं परिच्छइउं । आढवइ तीए दिक्खासामग्गिं महविभूईए ॥ ६६ ॥ ६१६६ ॥ तं दहुं बद्धावयपुरिसा वि विणिग्गया विमणमणसा । गंतूण इमं सव्वं नियनियलोयाण अक्खंति ॥६७॥६१६७॥ सोऊण तक्कहियं वृत्तंतं ते कुमारचउरो वि । तदुवरि दढाणुराया नियनियगेहाई पइ बलिया ॥ ६८ ॥ ६१६८ ॥ द अंतरालम्भितावसेति ताण दिक्खाओ । मित्ताणं लज्जूंता न गया नियएसु गेहेसु ॥६९॥६१६९ ॥ निधूयाए सेट्ठी विहु चंदलेहनामाए । सामग्गिं कुणइ बरं दिक्खागहणम्मि जं जोगं ॥७०॥६१७० ॥ काऊणं णीसेस सामग्गिं सयलपरियणसमग्गो । काउं सिबियारूढं नियधूयं जाइ उज्जाणे ॥७१॥६१७१॥ सूरिस्स पायमूले पुरओ विऊण कन्नयं तत्तो । जंपइ जोडियहत्थो 'पहु ! एगा एस मे धूया ॥ ७२ ॥ ६१७२ ॥ १. ह अहो निद्दलिओ जे० ॥ सीईअ पुव्यभवत्ततं ७२८
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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