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________________ माहवकुमारस्स अक्खाणयं सिरिसंति नियबंधवकुमुयागरचंदो, पसरियकित्तिवेल्लिवरकंदो । नाहचरिए जो परिहरियअसेसयदंदो, जो य लच्छिनिवहेण अलिंदो ॥४॥५५१५।। तस्स य अत्थि नदिमित्ता नाम भारिया अवि य जा हसि व्व सुनिम्मलपक्खा, जा निच्चं पि गुणेहि वलक्खा । जा परिहरियअसेसाणक्खा, जा अवमाणियनिसपडिबक्खा ॥५॥५५१६॥ ताणं च एवंविहगुणकलावकलियाण वि अत्थि थीकहाइचउब्विहविकहाकरणरसपसरभरवियड्ढो माहवो नाम पुत्तो, जो य#बिगहपमाई णिच पमत्तउ, विसयासेवणि णित्भररत्तउ । सिटुविणोइ दूरि परिचत्तउ, दुजणसंगईसु आसत्तउ ॥६॥५५१७॥ एवंविहस्स य तस्स णाणाविहाओ विकहाओ कहेमाणस्स जाव बच्चए कोइ कालो ताव अन्नया कयाइ १०% नयरसंहोवढियाणं जणाणं पयट्टा थीकहा, अवि य- . एगसहाए जियाणं 'का नारी भणह कस्स अभिरुइया?'।जा को वि किंचि अज्ज वि न भणइ ता माहवो भणइ ॥७॥५५१८॥ १. त्रु० विना अलंदो जे० पा० । अणंदो का० ।। २. °पमाएं णिचु पा० ।। ३. "विणोएं पा० ।। ४. "सहोवविद्वाण जे० का० ।।
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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