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________________ सिरिसंतिनाहरिए जाण करणं अप्पा जल-जलणाईसु घोररूवेसु । पक्खिप्पर अवियप्पं तो धी धी थीसहावस्स” ॥१६३॥५०६३॥ एवं च भाविऊणं पुणो वि चित्तम्मि चिंतियं तेण । "जावेसा थीभावं दंसेइ न कुलकलंकयरं ॥ १६४ ॥ ५०६४ ॥ आसनं एईए माइभाउणो गेहं । तत्थ इमं मोत्तूणं करेमि तव संजमं घोरं ॥१६५॥५०६५॥ तस्सेव य पासम्म गुरुणो गुणगणसुरयणजलहिस्स । वरधम्मरयणपरिदायगस्स बहुसीसकलियस्स” ॥ १६६ ॥ ५०६६ ॥ इय णिच्छ्यं विहेउं णियचित्ते जाइ कणगवइपासे । भणइ य 'पिए ! वयामो पुरओ णमियं दिणं जम्हा' || १६७ ||५०६७॥ ५ आह मावि हु 'सामिय ! वीसमिउं अज्ज पुण पभायम्मि । वच्चिस्सामो पुरओ,' सो जंपइ 'सोहणो सत्थो ॥ १६८ ॥ ५०६८ ।। चलिओ तेणेव समं वच्चामो' एव जंपिया संती । चलिया तस्स भएणं पच्छिमहत्तं पलोयंती ॥ १६९॥५०६९॥ माउलगपुरम्मि तओ पत्ताई ताई चउहिं दिवसेहिं । पविसंति माउलस्स उ गिहम्मि पडिहारकहियाई ॥१७०||५०७०॥ दि य मामगेणं पञ्चभिनाया य तेण कणगवई । अंसुपवाहेण तओ पहावेतो डाव अंके ॥ १७१ ॥ ५०७१ ॥ सुरं विसूरिऊणं अभंगुव्वट्टणाइयं सव्वं । काराविउं णियंसइ पवराई महग्घवत्थाई ॥ १७२ ॥ ५०७२ ।। नाणारससंत्तं भोयावित्ताण भोयणं सुरसं । सुहआसणोवविद्वाण पुच्छए सयलवुत्तंतं ॥ १७३ ॥ ५०७३॥ तो गुणधम्म कुमारो मूलाओ कहइ जाव पजंतं । तं सोऊणं राया मणम्मि अइदुक्खिओ जाओ || १७४ ॥ ५०७४ | १. ता धिद्धि बी० पा० ॥ २ पासमिं पा० ॥ ३. पहावंतो पा० का० ॥ ४. डाबिए त्रु० ।। ५. पुच्छइ त्रु० ॥ गुणधम्मस्स कहाण ६१६
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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