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________________ सिरिसंतिनाहचरिए य कम्मयरजणो संसारिजीवो व्व सकम्मलग्गो ससरणो यत्ति, अवि य सूरताइगुणेहिं समत्थराईण जो समब्भहिओ । तस्सऽत्थि बरा देवी अइरादेवि त्ति नामेण || ७||४६०७ || जाय पव्वयमेहल व्व सुपाया सुनियंबा य, जा य देवकुलिय व्व सुजंघा सुसिहरिया य, जा य महाडइ व्व सुवाहा ससूयरा य, जाय उत्तरदिस व्व सुआसा पुण्णजणाणुगया य, जा य जिणवाणि व्व सुदिट्ठी फुडऽक्खराऽऽलावा य, जा य साविय व्य सुस्सुई सुवालिया य, त्ति । ती य समं भोए सो भुंजइ पुव्वपुण्णसंजणिए । अह अन्नया य देवी जाया उउसमयण्हाय त्ति ॥ ८॥४६०८ ॥ तीय तम्म सम उत्तमवरभोयसुहसमेयाए । उत्तमंसयणगयाए उत्तमवासहरसुत्ताए ॥९॥४६०९॥ एत्थंतरम् य सयलविमाणोवरिटुबिसिटुलटुसब्बटुमहाविमाणाओ नीसेससंसारसारविसयसुहरसाणुहवसमिद्धाओ तेत्तीससागरोवमट्टिइपसिद्धाओ भद्दवयबहुलसत्तमीए भरणीनक्खत्तसंगए ससंके उच्चद्वाणद्वियसव्वगहसंपाए, तत्तो चविऊण १० सो मेहरजीवदेवो तित्थरनामाणुपुब्बीए समाकरिसिज्माण समुप्पन्नो तीसे अइरादेवीए कुच्छिसि गन्भत्ताए ति । तमय समए सुहपत्ता ईसीसि ओहीरमाणी चोद्दसमहासुमिणे पेच्छइ, अवि य १. मभवण पा० ॥ बारसमं भवग्गहणं ५३१
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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