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________________ सिरिसंतिनाहचरिए ता तस्सेव य एवं समग्गसामग्गिसंजुयं काउं । पेसेमि निव्वियप्पं" चिंतेउं भणइ तो मंतिं ||३५|| ३५८१ ॥ 'मंति ! इमा वरकन्ना निज्जियरइ - गोरिरूवलावन्ना । उम्मत्तजोव्वणम्मिं वट्टइ ता कस्स दायव्वा ? ' ॥ ३६ ॥ ३५८२॥ तो भइ महामंती समत्थगुणरयणसायरो धणियं । 'नामेण अभयघोसो अत्थि णिवो वइरपुरणयरे ॥३७॥३५८३॥ सो संपयराईणं अहिओ मन्नेमि देव ! मह बुद्धी । ता देव ! तस्स एवं पेसेह सयंवरं कन्नं ॥३८॥३५८४ ॥ राया वि 'साहु साहु त्ति, जंपियं मज्झ चेव मणरुइयं' । इय भणिऊणं पेसइ तं कन्नं अभयघोसस्स ||३९|| ३५८५ ॥ नाऊण निवो पत्तं तं कन्नं कुणइ सव्वपडिवत्तिं । सोहणदिणम्मि तत्तो वीवाहइ परमतुट्ठीए ||४०|| ३५८६ ॥ तो तीए समं भोए भुंजतो जा गमेइ कइ वि दिणे । ताव तहिं संपत्तो सिसिररिऊ सीयसंजणओ ॥ ४१ ॥ ३५८७॥ अवि यजत्थ पियंगु लयउ मंजरियउ, कुसुमिहिं लोद्रवल्लि वित्थरियउ । 1 कुंदु वि सुमणसिरीए परोहिउ, दीसइ तिलउ पसूण सुसोहि ॥ ४२ ॥ ३५८८ ॥ किंचसिसिरतुसारकणिहिं णिड्डुज्झइ जत्थ सरोयसंडयं, किसलयपल्लवेहिं सुभगं पि हु तह सिहरीण तंडयं । थिज्जइ जत्थ हिंमिण जलपुण्णु वि सरसरसीण पंतिया, कंपइ पहियओलि हिमवाएण जत्थ पहम्मि जंतिया ॥४३॥३५८९॥ जहिं वैडुत्तणु हाविउ सूरह तह पयाउ परिणिग्गउ दूरह । अहवंऽगी कयदक्खिण आसह एस चिय गइ होइ पयासह ॥४४॥३५९०॥ १. "परा पा० विना ।। २. सव्यं पडि° का० ॥ ३. सुमेहिं पा० विना ॥। ४. हिमेण त्रु० का० ।। ५. जहि का० ।। ६. बहुतणु प० । 343434343430 चंदतिलय सूरतिलयाण पुव्वभववण्णणं ४३५
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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