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________________ सिरिसंतिनाहचरिए इय सरयन रिंदिण, कयसम्मद्दिण, तोसिउ सयलु महीवलउ, पयडियगुण बंदिण, पसरियसद्दिण, जणिउ भवणि हल्लोहलउ ||५|| २६१८॥ एत्यंतरि अह एक महागउ, अडविहि होतउ झत्ति समागउ, सरयनरेंदह गुणगणभूसिउ, नं कोसल्लिउ वणसिरिपेसिउ, संख-कुंद - दहि- फेणसमुज्जलु, नं अदब्भु सरयन्भु गयज्ञ्जलु, वरविसाल कुंभत्थलसोहिउ, न हिमगिरिवरसिंहरपरोहिउ । अवि यमायंगु संपत्तु अच्चंतमयमत्तु, मेहो व्व गजंतु, सेलो व्व पंज्झरंतु, गिरिसेल पाडंतु, मंदिर साडंतु, सरवरइं फोडंतु, तरुनियर मोडंतु, गिरिसरिउ डोहंतु, जणु सयलु खोहंतु, परकरडि जोहंतु, नारियणु मोहंतु, बहुजीव नासंतु, हयथट्ट तासंतु, अइवेगि धावंतु, धर थरथरावंतु, चल्लंतु खेल्लंतु घुम्मंतु तम्मंतु, दारंतु मारंतु थूरंतू चूरंतु, विधेतु संधंतु पाडंतु फाडंतु, तोडंतु रोडंतु छोडंतु विहडंतु, १. 'नरिंदेण जे० त्रु० ।। २. 'सम्मद्देण जे० त्रु० । ३. 'सद्देण का० ।। ४. 'सालु कुंभत्थलु सो' जे० ।। ५. "सिहरु परो" पा० ।। ६. पा० विना अचंतमयगत्तु जे० त्रु० । अचंतु मयमत्तु का० ॥ ७ परंतु का० ॥। ८. फोडतु जे० विना || नरसिंघ कुमरस्स कहाण २८५
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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