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________________ ******************* प्रकाशकीय 'श्रीशांतिनाथचरित्र' (प्राकृत) नामक ग्रंथ का प्रकाशन कर इसे पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है। यह ग्रंथ आज तक अप्रकाशित था। काफी लम्बे समय से इस ग्रंथ के प्रकाशन की प्रतीक्षा की जा रही थी। इसके प्रकाशन हेतु पूर्व में भी प्रयास किये गये थे किन्तु कतिपय कारणों से यह प्रकाशित नहीं हो पाया । प्रस्तुत ग्रंथ का कुशल संपादन पूज्य श्री धुरंधरविजयजी म०सा०ने बड़ी लगन व परिश्रम के साथ किया है। उन्होंने प्राचीन हस्तप्रतों का संशोधनकार्य पूज्य मुनि श्रीजम्बूविजयजी म०सा० एवं पं० श्री अमृतभाई भोजक के मार्गदर्शन में किया है। ग्रंथ का वर्तमान परिष्कृतरूप इन्हीं विद्वानद्वय के परिश्रम का सुफल है। ग्रंथ की प्रस्तावना पूज्य श्री प्रद्युम्नविजयजी म०सा०ने लिखी है। उन्होंने ग्रंथ और ग्रंथकार की महत्ता का बखूबी निदर्शन कराया है। प्रस्तावना को पढ़कर संपूर्ण ग्रंथ की विषयवस्तु एवं उसके महत्व को सहज ही जाना जा सकता है, एतदर्थ हम आपके बहुत बहुत आभारी है । ग्रंथ के संपादक पूज्य मुनिराज श्रीधर्मधुरंधर विजयजी ने ग्रंथ को अनेक आवश्यक परिशिष्टों के साथ सुसज्जित किया है। । उन्होंने ग्रंथ को तैयार कर प्रकाशन हेतु हमें दिया एतदर्थ हम उनके अत्यन्त आभारी हैं । ***
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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