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________________ सिरिसंतिनाहचरिए “एगदिवसं पि जीवो पव्वज्जमुवागओ अणन्नमणो । जइ वि ण पावइ मोक्खं अवस्स वेमाणिओ होइ " ॥ ७ ॥ १६८१ ॥ ऐयं च निसामिऊण भत्तिम्भरणिन्भरा वंदिऊण मुणिवरं गया नियनियगेहेसु, पारद्धाओ अट्ठाहियामहिमाओ जिणाययणेसु, डाविया य णिय- णियपुत्ता रजेसु, काऊणं य अभिनंदण-जगनंदणमुणिसमीवे सव्वसंगपरिच्चायं पडिवन्ना य पाओवगमणं । एत्थंतरम्मि य सिरिविजओ भवियव्ययानिओगेण कहिंचि सुमरिऊण नियजणयजणद्दणरिद्धिबलसमुदयं नियाणं करेइ, अवि य " जइ मह इमस्स तव -संजमस्स चिण्णस्स अत्थि किंचि फलं । ता आगमिस्सकाले अहमवि होज्जामि तेण समो” ॥ ८॥ १६८२ ॥ एवं च इमो कयनियाणो, इयरो अकयनियाणो दो वि कालसमए कालं काऊण उप्पन्ना पाणए कप्पे नंदियावत्त-सुत्थियावत्तविमाणेसु दिव्वचूल-मणिचूलाभिहाणा बीससागरोवमट्टिइया देवा । तत्थ य पवरमणिविणिम्मियमहापल्लंकोवरिनिवेसियनवणीयसमफासतूलीपच्छायणपडोवरि विणिवेसियदुकूलंतराले अंगुलासंखेयभागमेत्तं तणुं गिण्हंति, अंतोमुहुत्तमेत्तेण य तीसइवरिसप्पमाणपुरिस व्व जाया, ऊसारित्ताण य पडं जाव उबविट्ठा ताव जय-जयावियं १० तियसमागहेहिं, अवि य १. एवं का० ॥ २. तीसयव जे० पा० ॥ चउत्थ-पंचमभवग्गहणाई १८६
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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