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________________ सिरिसंतिनाहचरिए जंप तइओ मंती 'एयं पि न जुत्तिसंगयं वयणं । जम्हा अवस्सभावी जो अत्थो होइ सो नियमा ॥२३॥ ८०३ ॥ एत्थ य कहेमि तुब्भं दिट्टंत किंपि तं निसामेह' । “विजयपुरे भरहम्मिं निवसइ अह बंभणो एगो || १ ||८०४ ॥ णामेण रुंद्दसोमो जलणंसिहा नाम भारिया तस्स । ताण अणेगोबाइयलद्धो पुत्तो सिही णाम ||२||८०५ ॥ एत्तो य तम्मि नयरे अत्थि महारक्खसो अइपयंडो । गिद्धो माणुसमंसे अहिडिओ कूरदेवेण ॥३॥८०६ ॥ सो तम्म पुरे बहुमाणुसाणि मारेइ जाव पइदियहं । ता रन्ना सो भणिओ 'निरत्थयं किं जणं वहसि ? ॥४॥८०७ ॥ भक्खसि तं नरमेक्कं, मारेसि पुणो अईबबहुपुरिसे । ता मा करेहि एवं एगेगं देमि पइदियहं ॥५॥८०८ ॥ रणो वह वयण रक्खेण वि मन्नियं तओ राया । कमसो सव्वगिहाई वहियाबद्धा कारेइ ॥ ६ ॥ ८०९ ॥ गणिऊण माणुसाई गोलगलक्खेण एइ जं किंचि । तं देइ माणुस से सयलपुररक्खणडाए ॥ ७॥ ८१०॥ अह अन्नया कयाई माहणपुत्तस्स तस्स नामेणं । कहकहवि दिव्वजोगा विणिग्गओ गोलओ सहसा ||८|| ८ ११ ॥ तं सोउं से माया अक्कंदइ गरुयकरुणसद्देण । तीए य घरासन्ने भूयगिहं अत्थि सुमहंत ||९||८१२॥ तं माहणिरुतिं दट्टु करुणापवन्नहियएहिं । भूएहिं इमं भणियं 'भद्दे ! मा रुयसु उब्बिग्गा ||१०||८१३॥ देउ निवो ताव इमं पच्छा तस्सग्गयाओ कडूढेउं । भद्दे ! आणिस्सामो तुह नऽत्थि संदेहो ' ॥११॥ ८१४ ॥ १. भद्द° जे ० का० ॥। २. णसिही का० ॥। ३. भक्खसि तुमं नरेक्कं जे० ॥ ४. वहया त्रु० ॥ 34343434343434 चउत्थ-पंचमभवरगहणाई ९९
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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