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________________ 00004 कल्प. सबो. ॥५५७॥ 00000000000000000000000000 0000 च्छित्तए ॥३७॥ तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए निग्गंथीए एगओ चिट्ठित्तए १, तत्थ नो कप्पड़ एगस्स निग्गंथरस दुण्हं निगंथीणं एगओ चिट्टित्तए २, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं एगाए निग्गंथीए एगओ चिट्ठित्तए ३, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं दुण्ह निग्गंधीणं एगओ चिट्टित्तए ४, अस्थि य इत्थ केई पंचमे खुड्डए वा खुड्डिया तस्य आरामस्याधो वा यावत् उपागन्तुं ॥ ३७ ॥ अथ स्थित्वा वर्षे पतति यदि आरामादौ साधुस्तिष्ठति तदा केन विधिनेत्याह-(तत्थ नो कप्पइ एगरस निग्गंथस्स एगाए निग्गंथीए एगओ चिट्टित्तए) तत्र विकटगृहवृक्षमूलादी स्थितस्य साधोः नो कल्पते एकरय साधोः एकस्याः साध्च्याश्च एकत्र रथातुं (१) ( तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथरस दुण्हं निग्गंथीणं एगओ चिट्टित्तए) तत्र नो कल्पते एकस्य साधोः द्वयोः साध्व्योश्च एकत्र स्थातुं ( २ ) ( तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निगंथाणं एगाए निग्गंथीए एगओ चिट्ठिलए ) तत्र नो कल्पते द्वयोः साध्वोः एकस्याः साध्व्याश्च एकत्र स्थातुं (३) ( तत्थ नो कप्पइ दण्डं निगंथाणं दण्डं निगत्थीणं एगओ चिट्ठित्तए) तत्र नो कल्पते हयो: साध्वोः द्वयोः साध्व्योश्च एकत्र स्थातुं (१) ( अस्थि य 300000000000000000000000000000000000000000000000000 Jain Education For Private & Personel Use Only Jww.jainelibrary.org
SR No.600080
Book TitleKalpsutravrutti Subodhikabhidhana
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1911
Total Pages618
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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