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________________ कल्प० ।।५१६|| Jain Education In 000000000 00000000000000 0000 00 00 00 01 004 अंतेवास। गोअमसगुत्ते || थेरस्स णं अज्जनागस्स गोअमसगुत्तस्स अज्जजेहिले थेरे अंतेवासी वासिसगुत्ते ॥ थेरस्स णं अज्जजे हिलस्स वासिट्ठसगुत्तस्स अज्जविण्हू थेरे अंतेवासी माढरसगुत्ते || थेरस्स णं अज्जविण्हुस्स माढरसगुत्तस्स अज्जकालए थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते ॥ थेरस्स णं अज्जकालियस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी गोयमसगुत्ता, थेरे अज्जसंपल, थेरे अभद्दे ॥ एएसि णं दुहं थेराणं गोयमसगुत्ताणं अज्जवुड़े थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते ॥ थेरस्स णं अज्जवुडुस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जसंघपालिए थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते || थेरस्स णं अज्जसंघपालिअस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जहत्थी थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते || थेरस्स णं अज्जहत्थिस्त कासवगुत्तस्स अज्जधम्मे थेरे अंतेवासी सुव्वयगुत्ते ॥ थेरस्स णं अज्जधम्मस्स सुव्वयगुत्तस्स अज्जसिंहे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते ॥ थेरस्स णं अज्जसिंहस् च श्रीवज्रस्वामिभ्यः शिष्यप्रशिष्यादिगणनया नवमस्थान भाविनो नाम्ना चार्यरक्षाः इत्येवमनयोः आर्यरक्षितार्यरक्षयोः स्फुटं भेदं विस्मृत्य आर्यरक्षस्थाने आर्यरक्षितव्यतिकरं लिखितवान् ॥ For Private & Personal Use Only सुबो - ॥५१६॥ ૪૩ ww.jainelibrary.org
SR No.600080
Book TitleKalpsutravrutti Subodhikabhidhana
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1911
Total Pages618
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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