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अशुद्धम्
शुद्धम्
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॥९
॥
रात्र
ARCH
मशुद्धम् अपापपाणा य कतरि
४२०
५
शुद्धम् अपायपाणा य तणा य कत्तरि इति रत्ना०
काल
हति
३८४८ ३८५
रग्निा०
कयु: लाल राईदियाएहिं रियाआणं घाष्टर्य याणं नि० सम्भो भिलिंसूवे हितए अनत्तमिते पञ्चवार्य
राइदिएहि रियाण धाष्टच. याणं कप्पइ नि साम्भोग भिलिंगसूवे हित्तए अनस्तमिते पच्चवाय
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पर्व विशेषेश्रीमह
४३४
विशेषश्रीमदहवाद सहजपाल
बद
जपाल
सिद्ध
सिद्ध
97-62-RESS
॥९॥
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