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कल्प वारसा०
महावीरचरि०
॥२५॥
पायच्छित्ता सवालंकारविभूसिया तं गब्भं नाइसीएहिं नाइउण्हेहिं नाइतित्तेहिं नाइकडुएहि । नाइकसाइएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहुरेहिं नाइनिहिं नाइलुक्खेहिं नाइउल्लेहिं नाइसुक्केहिं है। सव्वत्तुगभयमाणसुहेहिं भोयणच्छायणगंधमल्लेहिं ववगयरोगसोगमोहभयपरिस्समा जं तस्स गर्भपोषण गब्भस्स हिअं मियं पत्थं गब्भपोसणं तं देसे अ काले अ आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहिं ? सयणासणेहिं पइरिक्कसुहाए मणोऽणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला संपुण्णदोहला संमा-2 णियदोहला अविमाणिअदोहला वुच्छिन्नदोहला ववणीअदोहला सुहंसुहेणं आसइ सयइ ! चिट्ठइ निसीअइ तुयट्टइ विहरइ सुहंसुहेणं तं गब्भं परिवहइ ॥९५॥ तेणं कालेणं तेणं | समएणं समणे भगवं महावीरे जेसे गिम्हाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे चित्तसुद्धे तस्स णं चित्त-18 सुद्धस्स तेरसीदिवसे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राइंदियाणं विइक्कंताणं | उच्चट्ठाणगएसु गहेसु पढमे चंदजोगे सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु जइएसु सब-३॥ २५ ॥ सउणेसु पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पंसि मारुयंसि पवायंसि निप्फन्नमेइणीयंसि कालंसि |
१ जाब (क० कि०)।
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