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कल्प.
वारसा
॥७२॥
श्रीदशाश्रु०८ कल्पे ३
याई संमयाइं बहुमयाई अणुमयाइं भवंति, तत्थ से नो कप्पइ अदक्खु वइत्तए-'अत्थि ते
आउसो ! इमं वा २ ?' से किमाहु भंते ! ?, सड्ढी गिही गिण्हइ वा, तेणियंपि कुजा ॥१९॥ ६ वासावासं पज्जोस वियरस निच्चभत्तियरस भिवखुरस कप्पइ एगंगोअरकालं गाहावइकुलं भत्ताए।
वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नन्नत्थाऽऽयरियवेयावच्चेण वा एवं उवज्झायवे-21 वाच्ये यावच्चेण वा तवस्सिवेयावच्चेण वा गिलाणवेयावच्चेण वा खुड्डएण वा खुड्डियाए वा अवंजणजा-2 यएण वा ॥२०॥वासावासं पजोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे-ज से पाओ निक्खम्म पुवामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमन्जिय से य संथरिजा कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तद्वेणं पज्जोसवित्तए, से य नो संथरिजा एवं से कप्पइ । दुच्चपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२१॥ वासा-12 वासं पजोसवियस्स छट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति दो गोअरकाला गाहावइकुलं भत्ताए। वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा॥२२॥ वासावासं पजोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स
याचनानिषेधः गोचरकालाश्च
॥७२॥
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