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कल्प बारसा
॥ ७१॥
वाच्ये
उवाइणावित्तए ॥ ८॥ वासावासं पजोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सवओस्थविराव० समंता सक्कोसं जोयणं उग्गहं ओगिण्हित्ता णं चिट्ठिउं अहालंदमवि उग्गहे ॥९॥ वासा-3
श्रीदशावासं पजोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंधीण वा सवओ समंता सक्कोसं जोयणं | शु० भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥१०॥ जत्थ नई निच्चोयगा निच्चसंदणा, नो से कप्पइ2
कल्पे ३ सवओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥ ११॥ एरावई कुणा-12 लाए, जत्थ चक्किया सिया एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा, एवं चक्किया एवं अवग्रहमा
नं दानार्थ णं कप्पइ सवओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पडिनियत्तए ॥ १२॥ एवं च नो चक्किया, ग्रहणादि एवं से नो कप्पइ सवओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पडिनियत्तए ॥ १३॥ वासावासं, पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुवं भवइ-'दावे भंते!', एवं से कप्पइ दावित्तए, नो | से कप्पइ पडिगाहित्तए ॥ १४॥ वासावासं पजोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुवं| भवइ-पडिगाहेहि भंते !', एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्तए ॥ १५॥
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