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१२ | 'खुड्डुगे'त्ति एगा परिचाइया पइण्णापुबगं भणइ-जो जं करेइ तं मए कायवं, रण्णा पडहगो दवावितो, खुड्डगो भिक्खापविट्ठो सुणेइ, वारितो पडहतो, गओ राउलं, दिट्ठो तीए, भणइ-कतो गिलामि ?, तेण सागारियं दाइऊण काइयाए पउमं लिहियं, सा न तरइ, जिया, खुड्डगस्स उप्पत्तिया बुद्धी १३ | 'मग्गित्थि'त्ति, एगो भज्जं गहाय गामंतरं वच्चर, सा | सरीरचिंताए उत्तिन्ना, से रूवेण वाणमंतरी विलग्गा, इयरी पच्छा आगया, रडइ, ततो गामे ववहारो जातो, एगा भणइ| मम भत्ता, एसा कावि वाणमंतरी, इयरीवि एवं भणइ, ततो कारणिगेहिं चिंतिऊण पुरिसो दूरे ठवितो, जो पढमं हत्थेण गिण्हइ तीसे भत्ता, वाणमंतरीए हत्थो दूरेण पसारिओ, नायं वाणमंतरी एसा, निद्धाडिया, कारणिगाण उप्पत्तिया बुद्धी १४ । बिइयं उदाहरणं - मग्गे मूलदेवो कंडरीतो य वच्चंति, इतो य एगो पुरिसो समहिलो दिट्टो, कंडरीतो तीसे रूवेण मुच्छितो, मूलदेवेण भणियं-अहं ते घडेमि, ततो मूलदेवो तं एगंमि वणनिगुंजे ठविऊण पंथे आगतो अच्छइ, जाव सो पुरिसो समहिलो आगतो, मूलदेवेण भणियं एत्थ मम महिला पसवइ, एयं महिलं विसज्जेह, विसज्जिया, गया, सा तेण समं अच्छिऊण आगया, आगंतूण य तत्तो पडयं घेत्तूण मूलदेवस्स धुत्ती भणइ हसंती-पियं खु णे दारओ जातो, दोण्हवि उप्पत्तिया बुद्धी १४ । 'पइ'त्ति, दोन्हं भाउगाणं एगा भज्जा, लोगस्स महल को दोपहवि समा, परंपरएण रण्णा सुयं, परं विम्हयं गतो, अमचो भणइ-कतो एवं होहित्ति १, अवस्सं विसेसो अत्थि, एतेण तीसे महिलाए लेहो दिन्नो, जहाएएहिं दोहिवि गामं गंतवं, एगो पुषेण एगो अवरेणं, तद्दिवसं चेव आगंतबं, ताए महिलाए एगो पुवेणं पेसितो, एगो अवरेण, जो वेसो तस्स पुवेण, एन्तस्सवि जंतस्सवि निडाले सूरो, एवं नायं, असद्दहंतेसु पुणोऽवि पट्ठविऊण समगं
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