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अधिकार पछी विवरणकारे "
सानी ईच्छा हशेज ! पण क्यांतो शारारिक
भागना परिपूर्ण विषयक्रमथात
भगवान श्रीमलयगिरिजीए कोई पण कारणसर फक्त श्रीकुन्थुनाथस्वामी सुधीनो अधिकार वर्णव्यो छे. श्रीकुन्थुनाथ स्वामीना| | अधिकार पछी विवरणकारे "॥ साम्प्रतमरः॥" पाठ मूक्यो छे. मारी नम्र मान्यता एवी छे के “साम्प्रतम्-अरः" शब्द सूचवे छे के
“अरनाथ-आदि" भगवन्तोनो अधिकार लखवानी ईच्छा हशेज! पण क्यांतो शारीरिक कारणे न लखी शक्या होय, अगर लख्यु होय तो छेवटनो एटलो ग्रन्थभाग नष्ट थयो होय । ग्रन्थान्ते पानां ६०३-६०८ आवश्यकसूत्रना त्रणे भागना परिपूर्ण विषयक्रमथी तथा पानां ६०९-६१२ ग्रन्थोनी जाहेरातथी प्रसिद्ध कर्या छ। ___ अधुरो भाग प्रसिद्ध करवानी अमोने तक मळवा माटे समितिना सेक्रेटरी महाशयो (१) कुंवरजी आणंदजी कापडिया, भावनगर (२) कमलशी गुलाबचंद, राधनपुर ( ३) भोगीलाल हालाभाई, पाटण (४) भूतपूर्व सब्-जडज साहेब सूरचंद परसोतमदास बदामी, सूरत; अने (५) जीवणचंद साकरचंद जह्वेरी, सूरतनो उपकार स्वीकारिए छिये ।
श्रीबृहत्तपागच्छरूपी रत्नाकरनी अन्तर्गत संविग्न-सागरशाखाने विषे मणिभूषण, सूरिपुरन्दर, स्वपरशास्त्रज्ञाता, साक्षरशिरोमणि, आगमवाचनादाता, महाप्रभाविक आगमादि-ग्रन्थप्रकाशने सततोद्यमी, शेठ देवचंद लालभाई जैनपुस्तकोद्धार फंड अने श्रीमती आगमोदयसमिति आदि ग्रन्थोद्धार-भांडागारोना-संस्थापक, शैलानानरेशना प्रतिबोधक, आगमना अप्रतिम अभ्यासी, परम भट्टारक १००८ श्रीमत् आनन्दसागरसूरीश्वरजीए; पूर्वना बन्ने अने आ त्रीजा भागनुं संशोधनकार्य कर्यु होवाथी, अमो तथा समितिना कार्यवाहको; श्रीमद्नो जेटलो उपकार मानीए तेटलो ओछो छे ! संशोधनकार्ये हस्तप्रतो देनार मुनिपुङ्गवो अने भंडारोना कार्यवाहकोनो पण उपकार स्वीकारीए छिये ।
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