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________________ ॥ २॥ | पण ज्यारे आगम संपादन- काम शरु थयुं त्यारे आ काम तरफ कांईक उपेक्षा पण आवी. पण ए जवाबदारीनो भार मन उपर सतत रह्या करतो हतो एटले तेनो केटलोक अंश तो में तैयार कर्यो पण पाछळथी अवशिष्ट भागनुं काम एक पछी एक जुदी जुदी व्यक्तिओने सोंपवू पडयु. तेना पाठांतरो कोईए लीधा, तो टिप्पणो वळी बीजाए का. तो प्रूफ रिंडींग वळी त्रीजाए कयु. पाठांतरो पाटणवासी पं. अमृतलाल मोहनलाले लीधा, टिप्पणो पं. बहेचरदासजीए तैयार कर्यां, बाकीनु काम पं. अंबालाल शाहे कयु. एटले मारी तो एमां उपलकदृष्टिनी नजर ज रही शकी छे. आ रीते आ बीजा भागना संपादननु काम अनेक हाथे तैयार थयेली रसोई जेतुं छे. ते स्वादिष्ट छे के अस्वादिष्ट छे अथवा एने माटे मने प्रसन्नता छे के विषाद छे ए कशुं व्यक्त करी शकतो नथी. तोपण आटला वर्षो | पछीय प्रस्तुत ग्रंथना बीजा भागने वाचको समक्ष रजू करी संतोष अनुभववानो प्रयत्न करूं छु. आ संपादन मारी स्वीकारेली जबाबदारी छे. तेने मारा ढंगे पूरी रीते अदा नथी करी शक्यो ए माटे सद्गतनो क्षमाप्रार्थी छु. मुनि पुण्यविजय. SERICA4%ACRECORRESCHEDOSXXX Jain Education International For Private & Personal use only Vijainelibrary.org, IWANT
SR No.600062
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charita Mahakavyam_02
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorCharanvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1950
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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