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मों ही भी मुनिसुव्रतजिनेन्द्राय नमः ओं ही नमो सञ्चसाहूणं । श्रीविजयसिद्धिसूरीश्वरो विजयतेतराम् । शेठ देवचन्द लालभाई झवेरीना कुटुंबनी वंशवेल
पुरोलेख
(लेखक-शाकेरचन्द लालभाई जवेरी) शवत १९४९ कारतक वद ११ वा. भामे हमे हमारी जाते आ लखीने तईआर करु छे. हमे तन भाई शाकेरचंद लालभाई ता. गेलामाई लाखभाई ता. देवचंद लालभाई जन तन हमारा एकथापनामांथी मुबाई जवेरीनो धंधो चलहो ता. जुज धंधो शुरतमा चलाहो तारबाद हालमा हमारु शरीर जरा I aig & test, x
x x x x x x x x x आपरु कुतम 'गीगोल'नु केवाम छे जीवनभाई लगे छती पेरी ऊपर ता. नगीनभाई लगे छती पेरी ऊपर फुलचंदशा करीने कोई भापरां परदादां शुरत शेरमा अमदावाद हथवा खभात हथवा मारवारथी आवेला तेनी नकी कोईने खबर नथी तेमनी आगल तेमनां बापनु नाम शु छे ते तेनी कोईने खबर नथी.
आपरी गोतरज मां शी रीते मादे छे ने शी रीते वईबत करे छे:-जे छोकरो पेलवेलो पेला खोलानो था छे तेनो एक दाबो कान नीचेनो वीधाम जा १ भोमे.-लेखकनी भाषा कायम राखी, अल्प अर्थ पूर्ण-विराम वगेरे चिदो तथा पेरेग्राफ नवा योज्या छ. २. स्वपरनी केटलीक अंगत बानतो महीं मने बने पछी
कमी करी के अने ते स्थाने x x x भावी निशानी मूकी छे. ३ मा माता. मायना.
अ.क.४