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भागे मारवाड, खंभात्, घोघा, अने अमदावादथी उतरी आवेला छे, ज्यारे बुरहानपुर, पूना, कारवान, अने औरंगाबाद जेवा इतर गामोथी आवेला वीशा ओशवाळ धावको पण थोडाक प्रमाणमां छे.
ए प्रमाणे शेठ फूलचंद शा० क्यांथी आव्या ते निर्णय थई शकतो नथी. पण अनुमान एम थाय छे के तेओ पण सीधा मारवाडथी ज मोटे भागे आव्या होय, कारणके तेओना अने ते पछीना बेएक वंशजोना नामने छेडे मारवाड नामोनी माफक शा० शब्द जोवामां आवे छे. सुरत आव्या पछीथी नामने अन्तेनो शा० शब्दनो लोप थई फक्त चन्द शब्द रहेलो होय एम लागे छे. ते पछी केटलाक नामोमां भाई शब्द योजायो छे, अने अधुना कांत, कुमार, सेन शब्दो पण योजाय छे.
मारवाडथी ज सीधा आवेला मानवानुं बीजुं कारण ए पण छे के सं० १९६० मां शेठ देवचंद पोताना कबीला साथे श्रीधुलेवाजी तीर्थे केशरियाजीनी यात्रायें गया ते वखते राणकपुरजी वगेरे नानी मोटी पंचतीर्थीनी यात्रार्थे मारवाडमां फर्या हता. ए दरम्यान नानी मारवाडमां अमारा कुटुंबीयोना वे एक घर मोजूद हता, तेओ अरस परस कुटुंबनी गोठ गोत्र उपरथी अरस परसने ओळखी आनंदित थया हता.
गुजरातमां आवीने वसेला जैन लोकोमां गोठनुं ओळख आजे बहु अल्प थई गयुं छे, ज्यारे सुरतमां तो ते तद्दन भुंसाईज गयुं छे. परंतु मारवाडमां तो अद्यापि एवो नियम छे के गोठ बिना कोईनी ओळख, या विवाह आदि प्रकारना संबंधी थई शकतां नथी. सारा योगे शेठ देवचंदना कुटुंबनी गोठ-अवटंक तेओने अने तेओनी एक ज गोठवाळा बहोळा कुटुंबीजनोने आजे पण याद होवाथी ज मारवाडमां पोताना कुटुंबीजनो हता एवं जाणी शकायुं हतुं.
एक प्रश्न खाभाविक उपस्थित थवानो संभव छे अने ते एज के नानी मारवाडमां कुटुम्बीजनो छे तेम जणान्युं तो ते गाम अने ते लोकोनुं नाम वगेरे केम स्पष्ट कर्तुं नथी ? परंतु दिलगीरी सह लखवुं पड़े छे के सं० १९६० मा शेठ देवचंदनी साथे जात्राये गयेलामांथी आ हकीकतने जाणनारा कोई पण वृद्ध आजे हयात नथी. अने जाणनारा जे युवानो आजे छे ते ते वखते बाळवयना होवाथी अने आवी विगतो नोंधी राखवा प्रत्ये, आधुनिक गुजरातीयोनो जे सामान्य नियम 'दुर्लक्ष' छे ते आ गुजरातीयोमां पण होवाथी ते गाम अने गृहस्थोनुं नाम अत्रे आपी शकायुं नथी. परंतु आटला लेख उपरथी आशा राखी शकाय छे के आ लेख बहार पढी ते लोकोना अने बीजाओना वांचवामां आवेथी जरुर भविष्यमां विशेष जाणवानुं बनी शकशे. ए शिवाय बामणवाडा पाखे कुलदेवता अंबिकाजीनुं स्थान छे ते पण एक कुटुंबीजनना यात्रार्थे फरवा जवा उपरथीज जणायुं छे.