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दे.ला.. वंशवेल
श्री अध्या.
धनवि. रत्न. वृत्ती.
* उ.व. ५७ [१]; निधन सं० १९४९ मार्गशीर्ष सुरत. साकरचंदे छेल्ला छ सात वर्ष सुरतमां निवृत्तिमय जीवनमा गाळी चित्त अने पुद्गल बनेने उत्तमरीते धर्ममार्गे दोरी व्रत-तप-जप-ध्यान, गुरु-सेवा अने साधर्मिकभक्तिमा तल्लीनपणे व्यतीत कर्या हता. कहेवाय छे के चातुर्मासमा गुरुवंदनार्थ सुरत आवतां साधर्मिक-जनोनी भक्तिमां नित्यना एक मण दूधनो वापराश शेठ साकरचंदने त्यां हतो. एज प्रमाणे भोजन वगेरेनो प्रबंध पण हमेशनो हतो.
+ शेठ देवचंदना वीलना एक ट्रस्टी. भूतपूर्व आ फंडना ट्रस्टी. नीकळी गया सने १९३७. हाल अवैतनिक मन्त्री. जेमणे अद्यापि निःखार्थे लगभग पंदरेक धार्मिक अने सर्वोपयोगी खाताओमां संचालक तरीके घणां वर्षोंसूधी काम कयु छे. लगभग त्रीश वर्ष आ फंडनी अने लगभग वीश वर्ष श्रीआगमोदय समितिनी एकधारी सेवा बजावी १०० उपरांतना ग्रंथो प्रसिद्ध कराव्या छे. तेमज आनंदकाव्यमहोदधिना मौक्तिकोर्नु संपादन अने संशोधन कर्यु छे. 'ईडरगढ' उपरना श्रीसिद्धाचलजीनी स्थापनारूप अतिप्राचीन श्रीशांतिनाथजी जिनचैत्य-प्रासादे मूलनायकजीना पबासन हेठे, भगवती देवीश्री 'निर्वाणी' देवीनी मूर्ति खपर-श्रेयार्थे अधिष्ठाता तरीके भरावी स्थापित करावी छे. देवीश्री उपरनो लेख आमुजब छे:
"विक्रम सं० १९८१ फाल्गुन शुक्ल तृतीयायां बुधे सुरत वास्तव्येन झवेरी जीवणचंद्र साकरचंद्रेण कारापिता श्रीविजयकमलसूरिभिः प्रतिष्ठिता च मूर्तिरियं निर्वाणीदेव्याः "(श्रीआत्मारामजी-विजयानंदसूरीश्वर पट्टधर श्रीविजय कमलसूरिए के जेओश्रीना नामथी सुरतमां वि० सं० १९८१ना वर्षमा "प्राचीन हस्तलिखित जैन-पुस्तकोद्धार फंड "नामा संस्था स्थापवामां आवी छे, तेमणे ए मूर्सिनी सुरतमा प्राणप्रतिष्ठा करी इती.) + शेठ देवचंदे मृत्युपत्रद्वारा दत्तक वारस तरीके लीधा. जेथी गुलाबचंदनी विगत शेठ देवचंदना वंशज तरीके देवचंदा आपी छे, | शरूआतथी आ फंडना चालु ट्रस्टी,
(वि) विद्यमान हयात. राष्ट्रभाषा कोविद, तेमज जूदी जूदी अन्य भाषाओना अभ्यासी. राष्ट्रयज्ञे पत्रिकाअंगे कारागृहवास पामेला.
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