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________________ BA श्री अध्या. धनवि. रत्न. वृत्ती. A SALESECCCCCCCCCCCX ६ दे.ला.कु. * सम्पूर्ण विगतवालो पर तथा शेठ देवचंदनुं चरित्र बीजा ग्रन्थमा अपाववानी इच्छा छे. आबूनी पूर्वोत्तर नानी मारवाड भूविकी आदी 'सुरतमा वसेला मूल पुरुष. मारवाडथी सीधा सुरत आव्या के अमदावाद या खंभात वसीने आव्या ए चोकस थई शक्युं नथी. 'घृतगुड' गोत्र. गोत्रदेवीनीला वंशवेल स्थापनामा 'आम्रफलनो शुद्ध योटलो' गोत्रदेवी तरीके आम्रफलना गोटलानुं स्थापन, पूजन, प्रसाद, नैवेद अने जुहार निम्न समये करवानुं बन्धन छे:(१)मात्र म्होटा छोकराना जम्म पछीनी पहेली धनतेरसे, पहेला म्होटा दिकरानो मात्र नीचलो डाबो एकज कान विधि शकाय छे. (२) मात्र म्होटा-पहेला–छोकराना प्रथम समयना ज लम पछीनी पहेली धनतेरसे, पुत्रवधूने घेर तेडवा राखवा निमित्तनी. (३) दरेक छोकरा या तो छोकरीना मुण्डन समये. मुण्डन, आखाय कुटुम्बना दिकरा-दिकरी कोईनो पण लमप्रसंग होय त्यारे ज थई शके. दिकरीओर्नु मुण्डन मात्र जाबी बाजुना वालनी एक ज लट लेवडावी कराववामां आवे छे. (४) दिकरा या दिकरीना लग्नसमये. (५) पुत्रवधुओना सीमंतप्रसंगे-सामान्यपणे गोत्रस्थापन. (६) जन्मथी सहुथी पहेली नामकरण-गोत्रमा दाखल करवा-नी सामान्यपणे गोत्र स्थापना कराय छे. ए प्रमाणे सहुथी म्होटा-पहेला-दिकराने छ वखत, पछीना दिकराओने चार वखत अने छोकरीओने त्रण वखत 'गोत्रज' जुहारवार्नु प्राप्त थाय छे. अंक (१) (२) (३)(४)वाला स्थापन समये सत्तर शेर ने एक पसली घउंना दलनो प्रसाद करवानो होय छे. आंबाना गोटलाना स्थापनथी शायद 'अंबिकाजी ' कुल-देवता होवा संभव छे. शिरोही राज्यमा शिरोहीथी दश माईल छेटे (दांताराज्यवाळा 'अंबाजी'थी अलग ) बामणवाडा नजीक कुलदेवता 'अंबिकाजी'नुं स्थान छ एवं किंवदन्तीथी सांभळवामां आव्युं छे. ज्ञाते 'ओशवाल वीसा' श्रीतपागच्छ अन्तर्गत श्रीविजयदेवसूरीय गच्छावलंबित श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन. 1 अहीं सुधी मारवाडमां उच्चराता नाम पछवाडेना 'शाह' शब्दनी छाया रही छे. V जेमनी वंशवेल आगळना पाना पर चालु छे. -CARECEMEEG -
SR No.600059
Book TitleAdhyatma Kalpadrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunisundarsuri, Ratnachandra Maharaj
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year
Total Pages324
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size16 MB
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