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________________ 3 AR ऋद्धिदर्शने आवकधर्मपश्चाशकचूर्णिः । दशार्णः ॥४२॥ A साति-जो तुम्भेहिं अम्हे कहिओ देवलोगो सो पच्चक्खो अम्हेहिं दिट्ठो, साहू भणति-न तारिसो देवलोगो, अण्णारिसो अओ अणंतगुणो, ततो ताणि अम्भहियजायविम्हयाणि पवइयाणि, एवं उस्सवेण सामाइयलभो । (९) (तहा) महिड्डियदंसणाओवि लब्भइ, जहा दसन्नभद्देणं राइणा, कहाणयं इमं-दसन्नपुरे णगरे दसन्नभद्दो राया, तस्स पंच देवीसयाणि ओरोहे, एवं सो रूवेण जोवणेण बलेण य पडिबद्धो, एरिसं अन्नस्स नत्थिति चिंतेति, सामी य समोसरिओ दसन्नकूडे पवए, ताहे सो चिंतेति-तहा कल्लं वंदामि जहा ण केणवि अन्नेण बंदियपुवो, तं अज्झस्थियं च सक्को नाऊण चिंतेति-वराओ अप्पाणं न याणति, तओ राया महया समुदएण णिग्गओ वंदिउं सबिड्डीए, सक्को य देवराया एरावणं विलग्गो, तस्स अट्ठ मुहे विउव्वति, मुहे २ अट्ठ २ दंते विउति, दंते २ अट्ठ २ पुक्खरणीओ विउव्वति, एकेकाए पुक्खणीए अट्ठ २ पउमे विउच्वति, पउमे २ अट्ठट्ठ पत्ते विउव्वति, पत्ते २ अट्ठट्ट बत्तीसपयाणि नाडगाणि विउवति, एवं सो सन्विड्डीए उवगिजमाणो आगओ, ततो एरावणं विलग्गो चेव तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति, ताहे सो हत्थी अग्गपाएहिं भूमीए ठिओ, ताहे तस्स हथिस्स दसन्नकूडे पवए देवयप्पभावेण अग्गपयाणि उट्ठियाणि, ततो से नाम कयं गयग्गपदगोति, ताहे सो दसण्णभद्दो विचिंतेति-एरिमा को अम्हारिसाण इड्डित्ति, अहो कएल्लओ अणेण धम्मो, अहमवि करेमि, ताहे सो सवं छड्डेऊण पवतितो, एवं इड्डीए सामाइयं लब्भइ । (१०) तहा सक्कारपत्थणेवि गय( अलद्ध)सकारो जीवो लहति, जहा इलापुत्तेण, कहाणगं च इम-एगो धिजाइओ, तहारूवाणं थेराणं अंतिए धम्मं सोचा समहिलिओ पवइओ, उग्गं पवजं करेंति, णवरमवरोप्परं पीई ण ओसरति, महिला मणागं T HA%A5%ALA %AIRCROC ॥४ - Jain Education a lital For Private Personal Use Only Lww.jainelibrary.org -
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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