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________________ कर्मणां उपशमे अङ्गर्षिः चूर्णिः भावकधर्म-8 दिट्ठो, ततो आसुरत्तो ममं न याणसि ?; सूरं निज्झाइत्ता पच्छा सामि पलोएति, सो न उज्झति जह अन्ने, एवं दो तिन्नि पश्चाशक- वारे, ताहे गंतूण डसति, डसइत्ता अवक्कमति मा मे उवरिं पडिहिति, तहवि न मरति, एवं तिन्नि वारे, ताहे पलोएंतो अच्छति अमरिसेणं, तस्स भगवतो रूवं पेच्छंतस्स ताणि विसमरियाणि अच्छीणि विज्झायाणि सामिणो कंतिसोहम्मयाए, ताहे सामिणा भणियं-उवसम भो चंडकोसिया ! ताहे ईहावूहमम्गणगवेसणं करेंतस्स जाइस्सरणं समुप्पन, ताहे तिक्खुत्तो ॥ २८॥ आयाहिणपयाहिणं करेचा भचं पच्चक्खाइ, मणसा तित्थयरो जाणति, ताहे सो बिल्ले तुडं छोढुं ठिओ माऽहं रुट्ठो संतो लोग मारेहिस्सामि, सामी तस्स अणुकंपाए अच्छति, सामि दहण गोवालवच्छवाला अल्लियति, रुक्खेहिं आवरेत्ता अप्पाणं तस्स सप्पस्स पहाणे खिवंति, न चलइत्ति अल्लीणा, कडेहि पट्टिओ तहवि न फुरइत्ति, तेहिं लोगस्स सिलु, ततो लोगो आगंतूण सामि वंदिता तंपि महेति, अन्नाओ य घयविक्कणियाउ तं सप्पं मक्खेति फरिसेंति, सो पिबीलियाहिं गहिओ, तं वेयणं अहियासेति, अद्धमासस्स मओ सहस्सारे उपवनो। तहा उवसमे य संते लब्भइ जहा अंगरिसिणा लद्धं, तस्स चरियं-चम्पाए कोसियजो नाम अज्झावओ, तस्स दो सीसाअंगरिसी रुद्दओ य, अंगओ भद्दओ, तेण से अंगरिसी नाम कयं, रुद्दओ सो गठिच्छेयओ, ते तेण उवज्झाएण दारुगाणं पत्थविया, अंगरिसी अडवीओ उ भारगं गहाय पडिएनि, रुद्दओ दिवसं रमेत्ता वियाले संभरिय, ताहे पहाविओ अडवित च पेच्छइ दारुगभारगेण एंतगं, चिंतेइय-निच्छूढो मि उवज्झाएणंति, इओय जोइजसा नाम वच्छवाली पुत्तस्स पंथगस्स म नेऊण दारुगभारएण एति, रुद्दएण सा एगगड्डाए मारिया, तं च दारुगभारं गहाय अनेण मग्गेण पुरओ आगओ उवज्झायस्स CREAKIRe%ACCRECE-%AR-13 ॥२८ in Education For Private & Personal Use Only प w w.jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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