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________________ श्रावकधर्मपश्चाशक राजाभियोगे कार्तिकदृष्टान्तः चूर्णिः ॥ २०॥ ACTERESARGACASSES खाइमं-तउसफालइ साइम-ककोललवंगाइ-दाउं वा अणुप्पयाउं वा न कप्पइ, तत्थ एक्कसि दाणं, पुणो पुणो अणुप्पयाणं, वासदो विगप्पे, किं सबहा न देइ , नन्नत्थ रायाभिओगेण इत्यादि, रायाभिओगं मोत्तूण गणाभिओगं मूत्तूणं बलाभिओगं मोनूणं देवयाभिओगं मोत्तृणं, गुरुनिग्गहं मोत्तूणं, वित्तीकंतारं मोत्तूणं, किं भणियं होइ ? भन्नइ-रायाभिओगाइणा देंतोवि न धम्ममइक्कमइ, कह ? रायाभिओगेण देतो नाइचाइ धम्मं । तत्थुदाहरणं-हत्थिणाउरे नगरे जितसत्तू नाम राया, कत्तिओ सेट्ठी णेगमसहस्सपढमासणिओ सावगवन्नगो, एवं कालो वच्चति, तत्थ य परिवायगो मासंमासेण खमति, तं सबलोगो आढाति, कत्तिओ नादाति, ताहे से सो गेरुओ पओसमावन्नो, छिद्दाणि मग्गति, अन्नया रायाए निमंतिओ पारणे नेच्छइ, बहुसो २ राया निमंतेइ, ताहे भण्णति-जइ णवरं मे कत्तिओ परिवेसेति तो जेमेमि, राया भण्णति ? एवं करेमि, | राया समणूसो कत्तियस्स घरं गओ, कत्तिओ भण्णति-संदिसह, राया भण्णति-गेरुयस्स परिवेसेहि, कत्तिओ भणइ-वट्टइ अम्ह, तुभं विसयवासित्ति करोमि, चिंतेइ-जह पवइओऽहं होतो तो ण एवं संभवंत, पच्छा णेण परिवेसियं, सो परिवेसिजंते अंगुलिं चालेति, पच्छा कत्तिओ तेण निवेएण पञ्चतितो णेगमसहस्सपरिवारो मुणिसुव्वयसामिसमीवे, बारसअंगाणि (पढिओ) परियाओ बारस वरिसाणि, पूरियाऊ सोहंमे कप्पे सक्को जातो, सो परिवायगो तेण अभिओगेण आभिओगिओ | एरावणो जातो, पासिय सकं पलाओ, गहिओ, सक्को विलग्गो, दो सीसाणि कयाणि, सक्कावि दो जाता, एवं जावंतियाणि सोसाणि विउबति तावतियाणि सक्कोवि सक्करूवाणि विउच्चति, ताहे नासिउमारद्धो, सक्केणाहओ पच्छाठिओ, एवं रायाभिओगेण त्यं(दें)तो नातिकमति, केत्तिया एरिसया होहिंति जे पवइस्संति तम्हा न दायत्वं । गणाभिओगेण वरुणो, जहा गणाभिओ का॥२०॥ Jain Education Inter For Private & Personel Use Only hw.jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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