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________________ श्रावकधर्मपश्चाशक चूर्णि : ।। १५५ ।। Jain Education Inte विका सवालंकारविभूसिया एगंमि पासे अच्छति, सो रंगो रायाणो ते य दंडभडभोइया जारिसो दोवईए, तत्थ रन्नो जेो पुतो सिरिमाली नामकुमारो, सो भणिओ-पुत एसा दारिया रज्जं च घेत्तवं, अओ विंध एयं पुत्तलियंति, ताहे सो अककरणो तस्स समूहस्स मज्झे धणुं चेत्र गेण्दिउं न तरति कहवि गहियं तेण, जओ वच्चउ तओ वच्च उत्ति मुको सरो, hi अफिऊिण भग्गो, एवं कस्सइ एगं अरगतरं वोलीणो कस्सइ दोन्नि कस्सह तिनि अन्नेसिं बाहिरेण चैव नीति, ताहे या अधिर्ति पकओ - अहोऽहं एएहिं धरिसिउत्ति, ततो अमचेण भणियं कीस अधितिं करेह १, राया भणति - एतेहिं अहं पाणी कओ, अमचो भणति-अत्थि अन्नो तुज्झ पुत्तो मम धूयाए तगओ सुरिंददत्तो नामा, सो ममत्थो विधि, अभिणाणि से कहियाणि, कहिं है, सो दरिसिओ, ततो राइणा अवगूहितो भणिओ य- सेयं तत्र एए अड्ड रहचके तू पुतलियं अच्छमि विधेत्ता रजसहियं नेव्बुदं दारियं संपावित्तए, तओ कुमारो जं आणवेहत्ति भणिऊणं ठाणं ठाऊणं गेहति, लक्खाभिमुहं सरं सज्जेति, ताणि य दासरूत्राणि चउदिसिं ठियाणि रोडेंति, अण्णे य उभओ पासिं गहियखग्गा, जइ कहवि लक्खस्स चुक्कड़ तो सीसं छिंदियवंति, सोवि से उवज्झाओ पासे ठिओ भयं देह-मारिजसि जा चुकसि, ते बावीसंपि कुमारा एस विंधिस्मतित्ति, ते विसेसओ उल्लंठाणि विग्वाणि करेंति, ततो ताणि चत्तारि ते य दो पुरिसे बावीसं च कुमारे अगणेंतो ताणं अट्टहं रहचकाणं अंतरं जाणिऊण तंमि लक्खे निरुद्धाए दिट्ठीए अन्नमई अकुणमाणेण सा वीवीइया वामे अच्छिमि विद्धा, तओ लोगेण कलयलुम्मिस्सो साहुकारो कओ, जह तं चकं दुक्खं मेतुं, एवं माणुसत्तणंपि७ ।चमेति सेवालो, जहा- एगो दहो जोयणसतसहस्स विच्छिष्णो चम्मेण णद्धो,, एगं मज्झे छिड, तत्थ कच्छभस्स गीवामाह, For Private & Personal Use Only चर्म दृष्टान्तः ।। १५५ ।। w.jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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