SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 164
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विधिः श्रावकधर्म-है| निदोसा निदोसं उति अब्भुजयं मरणं ॥ ३ ॥ सवस्थापडिबद्धो दंडायवमाइठाणमिह ठाउं । जावजीवं चेदुइ निच्चेट्ठोले पादपोपपञ्चाशक- पायवसमाणो ।। ४ ॥ पढमंमि य संघयणे बटुंता सेलकुडसामाणा । तेसि पि य वोच्छेओ चोदसपुवीण वोच्छेए ॥ ५॥ गमनचूर्णिः । तहा-पुन्बभवियवेरेणं देवो साहरइ कोइ पायाले। मा सो चरमसरीरो न वेयणं किं पावेही ॥ ६ ॥ पुब्बभविय प्पेम्मेणं देवो देवकुरुउत्तरकुरुसु । कोई तु साहरेजा सबसुहा जत्थ अणुभावा ॥७॥ देवो नेहेण णये देवारनं व इंदभ॥१४ ॥ वणं वा । जहियं इट्ठाकंता सबसुहा होति अणुभावा ।। ८॥ पुढविदगअगणिमारुयत्रणस्सइतसेसु कोइ साहरइ । बोसट्टचत्तदेहो अहाउयं कोइ पालेजा ॥ ९॥ पुत्वावरदाहिणउत्तरेहिं वाएहिं आवडतेहिं । जह नवि कंपइ मेरू तह ते झाणाउ न चलंति ॥१०॥ उप्पन्ने उवसग्गे दिवे माणुस्सए तिरिक्खे य । सवे पराइणित्ता पाओवगया पविहरति ॥११॥ बत्तीसलक्खणधरो पाओवगओ उ पागडसरीरो। पुरिसवेसिणिकन्ना रागविइन्ना उ गिण्हेजा ॥ १२ ॥ मजणगंधं पुप्फोरयारपरियारणं सिया कुजा । वोसट्टचत्तदेहो अहाउयं कोई पालेजा ॥ १३ ॥ एगंतनिजरा से दुविहा आराहणा धुवा तस्स | अंतकिरियं व साहू करेज देवो व वत्तिं वा ।। १४ ॥ मुणिसुव्वयंतेवासी खंदगदाहे य कुंभकारकडे । देवी पुरंदरजसा दंडइपालकमरुओ य ॥ १५॥ पंचसया जंतेणं रुद्वेण पुरोहिएण मलियाई । बुग्गाहिय रायाणं पावेणं रुद्दचित्तेण ॥ १६ ॥" एयासिं भावत्थो इमाउ कहाणगाओ नायबो___ सावत्थीए नयरीए जियसत्तू राया, धारिणी देवी, तीसे पुत्तो खंदओ णाम कुमारो, तस्स भगिणी पुरंदरजसा, सा कुंभकारकडे णगरे दंडगीणाम राया तस्स दिण्णा, तस्स दंडगिस्स रण्णो पालको णाम मरुओ पुरोहितो, ॥ १४० ॥ ARROCERONACHAR SING Jain Education Inter For Private & Personel Use Only w.jainelibrary.org
SR No.600057
Book TitleAdya Panchashaka Curni
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1952
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy