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श्रीमन्महाभारतम् : : श्लोकानुक्रमणी
स चेन्निकृत्या युद्धयेत (शांति) ६५.६ सम्मान पता याति (अनु) १४५.४६ सच्छिन्नधन्वा विरथः (कर्ण) २५.२६ स जगाम ततः शीघ्र (आश्व)५६.३१ सज्यं चकार तदपि (द्रोण) १८.३८ स चेन्निवृत्तबन्धस्तु (यन) २०६.४० सचेन्मार सृजय (शांति) २६.१२६ सच्छिन्न धन्वा बिरथः (द्रोण) १६२.४० स जज्ञे विदुरो नाम (आ) १०६.२८ सज्य सज्यं धनुश्चास्य (द्रोण) ६८.३६ स चेन्नोपनिवर्तत (शांति) ८६.४ समं सह कुल लोक(वन) १६०.६६ नच्छिन्नधन्वा विरथः (द्रोण) १६५.४० स जज्ञे विधवा नाम (वन) २७४.१४ स ज्येष्ठपुत्रः कुन्त्या (शांति) १.२४ स चेन्नोपरिवर्तेत (शांति) ७६.१४ स चेष्टमानानुद्विग्ना (सौप्तिक).१२९ सचिठनधन्वा समरे (द्रोण) १६८.७ सजन्तः सर्वभतारमा (वन) २१३.५ स ज्वलन्ती महोल्केव (द्रोण) ६२.६७ स चेन्ममार सञ्जय (द्रोण) ६०.१३ स चतान् पुरुषव्याघ्र (वन) १८६.५६ सच्छिन्न धन्वा विरथो (द्रोण) १६०.१२
स जन्तुः सर्वभूतात्मा (शांति) १८५.४ सज्ञातिबान्धवः शूरः (कर्ण) ५.५६ स चेन्ममार सृञ्जय (द्रोण) ६३.११ सचत्ररथमासाद्य (आ) ११६.४८ सच्छिन्नधन्वा विरथो (भीष्म)५३.२८ सजयाशी: सपुण्याहः (द्रोण) ८४.२३ सज्ञात्वा समरेत्मानं (कर्ण) ५६.२५ स चेन्ममार सृञ्जय (द्रोण) ६६.२१ स चैन प्रतिजग्राह (उद्योग) ४१.६ सच्छिन्नधन्वा समरे (भीष्म) ५३.१८ स जानंश्चरित कृत्स्नं (वन) १८.१६ सञ्चचालः बलं सर्व (द्रोण) ३७.२४ स चेन्ममार सञ्जय (द्रोण) ६६.३२ स चैव तत्र धर्मात्मा (उद्योग) १४१.३४ सच्छिन्नधन्वा कौरव्यः (भीष्म)५६.५५ स जानन्नपि चाकायं(शांति) २६५.८ संचचाल रथे कर्ण: (कर्ण) ५१.३६ स चेन्ममार सृजय (शांति) २६.२४ स चवं पुरुषव्याघ्रः (द्रोण) ७३.१६ सछिन्नधन्वा विरथो (भीष्म) ११३.१८ स जानुभ्यां मही गत्वा (वन) ३६.७३ संचयांश्च न कुर्वीत (शांति) ६०.३० स चेन्ममार संजय (शांति) २६.३० स चैव व्यापते (द्रोण) २०२.११४ सच्छिन्नधन्वा तेजस्वी (शल्य) १६.८२ स जातमात्रान्पुत्राश्च (आ) १२६.३ संचये च विनाशान्ते (शांति)१०४.४४ स चन्ममार सजय (शांति) २६.५० स चोदितो भीमजनार्दन(कर्ण ८६.४ सच्छिन्न: पतितो (शल्य) १४.३४ स जातमात्री बबृधे (अनु) ३०.११ सञ्चयेन तथाऽल्पेन (वन) १८८.५७ स चेन्ममार सृजय (शांति) २६.६२ स चोपविविशे तत्र (शांति) ३४३.४२ सच्छिन्नयष्टि सुमहा (कर्ण) २५.७ स जायमानो विगृहीत (आ) १०.१५ सञ्चयो नास्ति (शांति) १४६.१७ म चेन्ममार मजय (शांति) २६.७० सच्चास च्चव कौतय(शासि) ३४२.७६ ।। सच्छिन्नः सहसा भूमौ (ण) २५.३७ स जीव. प्रच्युतः (आश्व) १७.३० संचरनास्मि कौन्तेय (वन) ११.५ स चेन्ममार सजय (शांति) २६.८० सच्चा सच्चव तद्वन्द्र (आश्च २४.१५ स च्छिन्नो बहुधा (द्रोण) १७०.१४ सज्जन्ति पुरुषे नार्यः (बनु) ४३.१५ संचरिष्यति लोकापच (आश्रम)२०.३५ स चेन्ममार सृजय (शांति) २६.६३ सक्छवकवचं चैव (कर्ण) ८७.१०६ स छिन्नधनुरादाय (विरा) ५७.३१ सज्ज ऋतुवरं राजन (वन) २५६.२ संचायांश्च न कुर्वीत (आश्व) ४६.२८ स चेन्ममार संजय (शांति) २६.१०४ सच्छत्रध्वजयन्तारं (द्रोण) ४०.३४ स छिन्नधन्वा परिध (कर्ण) ६४.२० सज्ज निवदयामास (कण) ७९.७ सहिचपिदतरप्यस्य (द्रोण) १२.३१ स चेन्ममार सृजय (शांति) २६.११० सच्छत्रध्वजयन्तारं (द्रोण) ४६.२७ स छिन्नधन्वा पांचाल्यो (द्रोण) १६१.२३ सज्जीकुरुत यानानि (मौ) ७.११ सञ्चित सञ्चितं (शांति) १७७.२० म चेन्ममार सृजय (शांति) २६.११६ सच्छाद्यमानो बहधा (द्रोण) १२२.५४ स छिन्नधन्वा विरथो (विरा) ५७.३६ सज्जीकुरु रथ क्षिप्रं (अनु) ५३.३० संचिनोत्यशुमं कम (शांति) १७४.२५ स चेन्ममार सृजय (शांति) २६.१३६ सच्छाद्यमानो बहुधा (भीष्म) ९६.२२ स निधन्वा संक्रुद्धः (भीम)११६.२७ सध्यमस्य धनुः कण्ठे (कर्ण) २४.४६ संचिनोत्यशुभं कर्म (शांति) ३२१.८६ स चेन्ममार सूजय (शांति) २६.१४४ छाधमानी बाणी (दोण) १६६.१७ स हिम्यरित: सुमटान् (कोण) १४६.६० सज्यं कृत्वा निमेष (कण) १६.३२ सचितयामि कौन्तेय (माश्व) ८७.४
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