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श्रीमन्महाभारतम् :: श्लोकानुक्रमणी
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स च योधजनः सर्वो (आश्रम) २४.२ स चान्वमोदत्तं चार्थ (आ) ३४.१५ स चापि पालयामास (आधम) ६.३ स चाप्येन ततो रक्षः (धन) ११.५७ स चिपेक्ष पुनः क्रुद्धः(द्रोण) १७५.६६ स चरन्दक्षिणं पार्श्व (आ) ११४.९ च चापक्रम्यता युद्धा (द्रोण) १२.२४ स चापि पावें (शांति) १७२.२ स चाप्येनं तदा भीमः(विरा) २२.६१ सचिवं देशकाल (शांति) ११८६ स च राजन्महातेजा (आ) ११८.७ स चापरिमितप्रशस्त (उद्योग) १६५.३ स चापि प्रतिजग्राह (आ) २०६.१० स चाब्रवीदयं ते स पुत्रहा (अनु) १.१६ सचिव यः प्रकुरुते (शांति) ११८.१५ स च राजाऽकरोद्यत्नं (आ) २२३.२५ सचापा: सनिषङ्गाश्च (भीष्म)४८.१५ स चापि ब्राह्मणो (अनु) १६०.३७ स चामंश्योरमश्रेष्ठ (शांति) ३६५.१ सचिवाश्चास्य चत्वारः (वन)२८०.६८ स च राजा तामुपलभ्य(वन) १६२.३६ सचापाः सांगुलि त्राणा(द्रोण) ६०.२६ स चापि भूमौ (वन) २३६.१६ स चारूमुकुटोष्णीष (द्रोण) ३६.२६ सचिवेनापनीतं ते (शाति) १११.५० सच राजा दशाणेष(उद्योग) १८६.११ स चापि कुरूमुख्याना(भीष्म)११८.३८ स चापि मुनिशार्दूलः (आ) ५०.१३ स चाश्रमस्थानराजषि (आ) २२३.२७ सचिवश्चापर मुख्य (द्रोण) ११४.६ स चरित्रं विशोध्याथ(वन) २७७.३५ स चापि च्यवनो ब्रह्म (आ) ८.१ स चापि राजवचनाद (आश्रम) २३.६ स चास्माकमुपा (शांति) ३४०.१११ सचिवो वृषवर्मा ते शूरः (कर्ण) ५.३५ सचर्मण: पदातीनां (द्रोण) १४६.१७ स चापि तद्यदधात्सर्व(आ) १६७.३२ स चापि राजा राजेन्द्र (द्रोण) ५२.२१ स चास्य गतभो (सभा) ३२.१४ । स नेच्छक्तोत्पयं (आश्व) १६.१६ स च वाजी यथेष्टेन (आएव) ७८.४८ स चापि तान् धर्मसुतो (शांति) १६७.५१ स चापि राजा सह (वन) २५.६ स चास्य प्रतिजग्राह (सभा) ३१.७४ । सचेतनं जीवगुण (वन) २१३.२२ स च वीरान रणे हत्वा (द्रोण) ७२.७१ स चापि तानभ्यवदत् (वन) २३.६ स चापि वरयामास (वन) १३८.२१ सपास्य प्रतिजपार ( EY सचेतन जीवगुण (शांति) १८७.२६ स च विग्रहवान्धर्मों (स्वर्ग) ३.२ स चापि तानजनबाहु (विरा)५४.२५ स चापि वीरः कृत (मा) १३७.२५ स चाप सम्बड (आश्रम) ३६.४७ सचेतनं जीवगुणं (शांति) २४१.२० स च शेषो विचरते (अनु) १४७.५६ स चापि तां प्रज्वलिता(वन)२३१.६५ स चापि वैकर्तन (विरा) ५४.२८ स चायति यं वाचा (वन) 8. स चेत्कर्मक्षयान्मयों (अनु) १४५४१ सच संप्राप्य कौरव्यं (उद्योग)१९.२३ स चापि तायप्रवर (शल्य) ३६.२३ स चापि शकस्य (वन) २५.११
स चित्रवर्मेषुवरो (कर्ण) १०.५८ स चेत्कामयते दातु (आ) १७२.२५ स च संभावयन्मा (वन) १८.२६ स चापि ते कृतात (वन) ४६.५७ स चापि शरवर्ष तं (द्रोण) २८.२५
नाण) २८.२५ स चिन्तयन्नने काग्रः (समा) ७९.३५ सचेतुष्यति दाशाह (उद्योग) ८५.८
. स च सर्पमुखो दियो (कर्ण) ६.६२ स वापि दृष्ट्वा (भीम) ८५.२५ स चाश्विरूपसदृशो (मा) १०२.६६
असदशा (आ) १०२.६६ स चिन्तयन्नभ्य (आ) २२९.१६ स चेत्त्वामनुयुजीत (आश्व) ६.२६ सच सेनापतिः क्षदो (सोप्तिक).५५ स चापि द्विरदयेष्ठः (द्रोण) २७.५ स चापि सम्यक (वन) १०३.३० स चिन्तयन्नेव तदा (आ) १००.५५ स चेत्सन्नद आगच्छत् (शांति) ६५.८ सच सेनापरिवता (आश्च) ६०.१६ स चापि निमति न (कर्ण) ०.८७ सचाप्यग्न्याहिता (शाति) १२९२.२१ मनियामास TET (TH) 03 स चेत्समनुपश्यत समग्र (शांति)६७.८ स चागस्त्येन क्रुद्ध न (अनु) १००.३५ स चापि निरनुक्रोशाः (आ) ७४.७५ स चान्यशक्यः (द्रोण) १८१.२२ मचिन्तयामास तया (शांति१४१.३८ स चेदवतरेद्रा जन्विषयं (वन) ११०.४८ स चात्मक्रोध को (कर्ण) ३४.११५ स चापि पापप्रकृति (वन) २०.२० स चाप्य वे सौतमिन्मु (आ) ४.६ त चिन्तामात मुनि:(शांति)१४१३६ स चेदिविषयं रम्य वसुः (बा) ६३.२ स चाद्य दिवसः (शांति) १७१.१० स चापि पार्थ बहुभिः(विर।) ५४.२६ स चप्पेतद्विजानाति(उद्योग) ५५.४० स चिन्तयमास (शांति) २६१.५ स चैदेता प्रतिपद्येत (उद्योग) २६.२०
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