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________________ श्रीमन्महाभारतम् :: श्लोकानुक्रमणी ४२ स च योधजनः सर्वो (आश्रम) २४.२ स चान्वमोदत्तं चार्थ (आ) ३४.१५ स चापि पालयामास (आधम) ६.३ स चाप्येन ततो रक्षः (धन) ११.५७ स चिपेक्ष पुनः क्रुद्धः(द्रोण) १७५.६६ स चरन्दक्षिणं पार्श्व (आ) ११४.९ च चापक्रम्यता युद्धा (द्रोण) १२.२४ स चापि पावें (शांति) १७२.२ स चाप्येनं तदा भीमः(विरा) २२.६१ सचिवं देशकाल (शांति) ११८६ स च राजन्महातेजा (आ) ११८.७ स चापरिमितप्रशस्त (उद्योग) १६५.३ स चापि प्रतिजग्राह (आ) २०६.१० स चाब्रवीदयं ते स पुत्रहा (अनु) १.१६ सचिव यः प्रकुरुते (शांति) ११८.१५ स च राजाऽकरोद्यत्नं (आ) २२३.२५ सचापा: सनिषङ्गाश्च (भीष्म)४८.१५ स चापि ब्राह्मणो (अनु) १६०.३७ स चामंश्योरमश्रेष्ठ (शांति) ३६५.१ सचिवाश्चास्य चत्वारः (वन)२८०.६८ स च राजा तामुपलभ्य(वन) १६२.३६ सचापाः सांगुलि त्राणा(द्रोण) ६०.२६ स चापि भूमौ (वन) २३६.१६ स चारूमुकुटोष्णीष (द्रोण) ३६.२६ सचिवेनापनीतं ते (शाति) १११.५० सच राजा दशाणेष(उद्योग) १८६.११ स चापि कुरूमुख्याना(भीष्म)११८.३८ स चापि मुनिशार्दूलः (आ) ५०.१३ स चाश्रमस्थानराजषि (आ) २२३.२७ सचिवश्चापर मुख्य (द्रोण) ११४.६ स चरित्रं विशोध्याथ(वन) २७७.३५ स चापि च्यवनो ब्रह्म (आ) ८.१ स चापि राजवचनाद (आश्रम) २३.६ स चास्माकमुपा (शांति) ३४०.१११ सचिवो वृषवर्मा ते शूरः (कर्ण) ५.३५ सचर्मण: पदातीनां (द्रोण) १४६.१७ स चापि तद्यदधात्सर्व(आ) १६७.३२ स चापि राजा राजेन्द्र (द्रोण) ५२.२१ स चास्य गतभो (सभा) ३२.१४ । स नेच्छक्तोत्पयं (आश्व) १६.१६ स च वाजी यथेष्टेन (आएव) ७८.४८ स चापि तान् धर्मसुतो (शांति) १६७.५१ स चापि राजा सह (वन) २५.६ स चास्य प्रतिजग्राह (सभा) ३१.७४ । सचेतनं जीवगुण (वन) २१३.२२ स च वीरान रणे हत्वा (द्रोण) ७२.७१ स चापि तानभ्यवदत् (वन) २३.६ स चापि वरयामास (वन) १३८.२१ सपास्य प्रतिजपार ( EY सचेतन जीवगुण (शांति) १८७.२६ स च विग्रहवान्धर्मों (स्वर्ग) ३.२ स चापि तानजनबाहु (विरा)५४.२५ स चापि वीरः कृत (मा) १३७.२५ स चाप सम्बड (आश्रम) ३६.४७ सचेतनं जीवगुणं (शांति) २४१.२० स च शेषो विचरते (अनु) १४७.५६ स चापि तां प्रज्वलिता(वन)२३१.६५ स चापि वैकर्तन (विरा) ५४.२८ स चायति यं वाचा (वन) 8. स चेत्कर्मक्षयान्मयों (अनु) १४५४१ सच संप्राप्य कौरव्यं (उद्योग)१९.२३ स चापि तायप्रवर (शल्य) ३६.२३ स चापि शकस्य (वन) २५.११ स चित्रवर्मेषुवरो (कर्ण) १०.५८ स चेत्कामयते दातु (आ) १७२.२५ स च संभावयन्मा (वन) १८.२६ स चापि ते कृतात (वन) ४६.५७ स चापि शरवर्ष तं (द्रोण) २८.२५ नाण) २८.२५ स चिन्तयन्नने काग्रः (समा) ७९.३५ सचेतुष्यति दाशाह (उद्योग) ८५.८ . स च सर्पमुखो दियो (कर्ण) ६.६२ स वापि दृष्ट्वा (भीम) ८५.२५ स चाश्विरूपसदृशो (मा) १०२.६६ असदशा (आ) १०२.६६ स चिन्तयन्नभ्य (आ) २२९.१६ स चेत्त्वामनुयुजीत (आश्व) ६.२६ सच सेनापतिः क्षदो (सोप्तिक).५५ स चापि द्विरदयेष्ठः (द्रोण) २७.५ स चापि सम्यक (वन) १०३.३० स चिन्तयन्नेव तदा (आ) १००.५५ स चेत्सन्नद आगच्छत् (शांति) ६५.८ सच सेनापरिवता (आश्च) ६०.१६ स चापि निमति न (कर्ण) ०.८७ सचाप्यग्न्याहिता (शाति) १२९२.२१ मनियामास TET (TH) 03 स चेत्समनुपश्यत समग्र (शांति)६७.८ स चागस्त्येन क्रुद्ध न (अनु) १००.३५ स चापि निरनुक्रोशाः (आ) ७४.७५ स चान्यशक्यः (द्रोण) १८१.२२ मचिन्तयामास तया (शांति१४१.३८ स चेदवतरेद्रा जन्विषयं (वन) ११०.४८ स चात्मक्रोध को (कर्ण) ३४.११५ स चापि पापप्रकृति (वन) २०.२० स चाप्य वे सौतमिन्मु (आ) ४.६ त चिन्तामात मुनि:(शांति)१४१३६ स चेदिविषयं रम्य वसुः (बा) ६३.२ स चाद्य दिवसः (शांति) १७१.१० स चापि पार्थ बहुभिः(विर।) ५४.२६ स चप्पेतद्विजानाति(उद्योग) ५५.४० स चिन्तयमास (शांति) २६१.५ स चैदेता प्रतिपद्येत (उद्योग) २६.२० Jain Education Intersalon For PVC Personel Use Only wwwalibrary
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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