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________________ भीमन्महाभारतम् :: लोकानुक्रमणी येन कर्मविशेषेण (वन) २१५.२० येन दह्यन्ति गात्राणि(स्त्री) ८.८ येन प्रवाज्यमानाश्च (द्रोण) १६६.३५ येन येन शरीरेण (अनु) ७.३ येन वेदानधीते (उद्योग) १.४० येन कार्येण संप्राप्ती (द्रोण) ८०.५२ येन दिव्यास्त्रविच्छूरो(कर्ण) ३.१३ येन प्रीणाति पितरं तेन (अनु) ७.२५ येन येन शरीरेण (बनु) ११६.३७ येन शको दानवानं (सभा) २४.१६ येन कृच्छ्रात पाण्डवानु(उद्योग)२६.४२ येन दुःखेन यो दुःखी(शांति) २५.३० येन प्रीणाति पितरं तेन(शांति) १०८.२५ येन येन शरीरेण (शांति) २०६.४ येन शके रणे जित्वा (द्रोण) १२८.४२ येन केन चिदाच्छन्नो(शांति)२४५.१२ येन देवान् मनुष्याश्च (विरा) ५.१८ येन प्रोणात्यूपाध्यायं तेन (अनु) ७.२६ येन येन शरीरेण (स्त्री) २.३४ येन शान्तनवो वीरो (शल्य) २४.३५ येन केनचिदानां (आ)८०.२४ येन देवा: पवित्रेण भुञ्जते (अनु)८१.३७ येन प्रोणात्युपाध्याय (शांति) १०८.२६ येन येन हि यस्यार्थ (शांति) ३२०.४३ येन संवधिता बाला(शांति) २७.१३ येन क्षयं न गच्छन्ति (भीष्म) ६५.६ येन देवा रयः सर्वे मया (द्रोण) ५१.७ येन बानः स सौभद्रो (द्रोण) १९६.३१ येन ये सह योद्धव्यं स्थिरो (कर्ण)८६.३ येन संगलता तात (स्त्री)२३.३ येन क्षराक्षरे वित्ते (शांति) ३०८.४७ येन देश: स सर्वस्तु (आ) ६३.७४ येन ब्रह्मास्त्राविदुषा (द्रोण) १९६.३४ येन योगबलाग्जाता(आश्रम) २८.१८ येन न सजन्ति कस्मि (अनु) १४.८ येन खट्वा समारूढः (योग) ३६.२६ येन दैत्यग्णाराज (कर्ण) ३१.४३ येन भोजश्च हादिक्यो(द्रोण) ९४.२९ येन राजा महावीर्यः (उद्योग) ५१.३७ येन सर्वमिदं बुद्ध' (शांति) २६६.३२ वेन घट्वा समारूढः(शांति) २८७.४६ येन धर्मसुते दृष्टा (उद्योग) ७६.१२ ये न मानित्वमिच्छन्ति (शांति) ११०.१६ सिते दष्टा (उद्योग) ७८.१२ निलमिळनितिक येन रामानवाप्येह(द्रोण) १६४.४ येन सर्वा दिशो राजन् (उद्योग) ६.४१ येन चोग्रायुधो राजा (शांति) २७.१० येन धर्मात्मनात्मानं (सभा) ४२.४ येन मां दु:खभागेषु धाता (स्त्री) १.१६ येन रोदन्ति दहाणात) २८४.१७५ येन सर्वान् महावीर्यान्(उद्योग) १८३.१४ येन तदनुरादाय लक्ष्यं (आ) २००.२ ये नदीषु समुद्रषु (शांति) २६४.१७७ येन यः कल्पितो भागः(शांति)३४०.५६ येन लिज़न यो देशो (आ) २.१२ येन साक्षात्महादेवो (द्रोण) १५६.६ वन तानपुर बगवा (वन) १४.२६२ येन नागायतप्राणो (कर्ण) ३.१२ येन यः प्रीयते देवः (अनु) १२५.६ येन लोकत्रय धात(भाष्म) १४.३२ येन सृष्टः पराभूतो(शांति) ३२८.५२ बेन तृप्यत्य भुजानो(शांति)२५१.१८ येन नागेन मघवान (द्रोण) २६.२० येन याती मखमुखौ (द्रोण) ६०.१२ येन लोकास्त्रयः सृष्टा (अनु) ६.१८ येन हृष्ययन्ति लाभेषु(शांति)१५८.३३ येन ते सत्सु निवेद (शल्य) ६४.१३ ये माथवन्तोऽद्य भवन्ति (वन) १२०.२ येन यूयं सुदूर्व ता (मौ) १.२० यन साभान्नयन्त्यपानामात) १९०८ येनाऽजय बपतिबंलि (वन) १६८.७७ येन त्रिगर्ता निहता (विरा) २५.२० ये नृशंसा दुरात्मानः(शांति) १४३.१४ येन येन च तुष्येत (आ) २.४३ येन वर्षशतं साग्रमात्म (अनु) १४.८५ येनाजी निहता भूमा-(सौप्तिक) ९.१५ येन त्वं युध्यसे पार्थ (कर्ण) ७२.२५ येन पश्यति तच्चन (शांति) १९४.१९ येन येन तु मावेन (अनु) १११.४५ येन वा लभते कीति (अनु) १०४.५ येनात्मबलमाश्रित्य राज[सभा)३७.१६ माथि राजमिमा येन त्वं योधितो वीर (वन) २२.२६ ये नः पुरा पण्डातिला (शल्य) ५६.११ येन येन यथा यद्यत्पुरा(शांति) १८१.१० येन विस्पर्धसे नित्यं (शांति) २.२४ येनभिजित्य तरसा (शांति) ४६ १३ येन त्वां नाभिजानन्ति(उद्योग) १२३.६ येन पूर्णमिवाकाशं भव(शांति)२४५.११ येन येन यथा यद्यत्पु(शांति) ३२२.१० येन वीरः कुरुक्षेत्र(विरा) ५.२० येनाभिषिक्तो नपिति:(सभा) १३.२१ येन त्वेतानि सर्वाणि(उद्योग) ३७.५५ येन पूर्व महात्मानः (वन) ४७.१९ येन येन विशेषेण (शांति) १४१.६३ येन वृष्ण्यन्धककुले (मी) १.२६ येनार्य सुज्यते जन्तुः (आश्व) २४.३ येनदारितं वाक्यं ममतं (सभा) ४३.७ येन प्रत्यवगच्छेयुः(स्त्री) ३.७ येन येन शरीरेण (आश्रम) ३४.१८ येन वेगवता रुग्णा(शांति) ३२८.४४ येनाबिब्रुवता प्रश्न (दोण) १६६.३२ Jain Education Internation For Private Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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