SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 552
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीमन्महाभारतम् : : श्लोकानुक्रकणी ५४७ ब्रह्मचर्यण वेदो मे करन:(आ)८१.१४ ब्रह्मणः सदने तात (जाति)३३६.११३ ब्रह्मण्यं सर्वधर्मज्ञं (अनु) १४६७ ब्रह्मदत्तवर: स्कन्द (वन) २३१.१०५ ब्राह्मभूतममावास्यां (भीम) ६७.२० ब्रह्मचर्येण वै लोकान् (शांति) २४२.६ ब्रह्मणस्तु कवेः पुत्रा (अनु) ८५.१३२ ब्रह्मण्यश्चास्त्रविच्चासि(वन)१६८.६६ ब्रह्मदत्तश्च पांचाल्यो (अनु) १३७.१७ ब्रह्मभूतं कुलं मेऽस्तु (अनु) ५६.१८ ब्रह्मचर्येण या विद्या (उद्योग) ४.५ ब्रह्मणा तत्र सरसि (वन) २४.८६ ब्रह्मण्यः सत्त्वयोधी च भीष्म) १२२.१९ ब्रह्मदत्तश्च पांचाल्यो(शांति) २३४.२६ ब्रह्ममृतश्चम्विप्रः (अनु) ११७.७ ब्रह्मचर्येण वेदो मे (आ) ८१.१४ ब्रह्मणा त्वेवमुक्तस्तु(शांति)३४२.१३० ब्रह्मण्यः सत्यवाग्दान्तो(द्रोण)१५८.३६ ब्रह्मदत्तः सुतं दृष्ट्वा (शांति)१३६.२३ ब्रह्मभूता विरज (शांति) २१७.३० ब्रह्मचयण शुद्धन दमेन (वन) २६३.१२ ब्रह्मणानामसाध्यं च (आ) १५८.१२ ब्रह्मण्यः सत्यवादी (आश्व) ४.११ ब्रह्मदेयाग्रहारांश्च (आश्रम) २.२ ब्रह्मभूतहांभार्गरूपेतं (वन) १४५.३४ ब्रह्मचारिकमेवाहु (आश्व) ३५४० ब्रह्मणानेव सततं भृशं (अनु) ३४.१ ब्रह्मण्यः सत्यवादी (द्रोण) १८०.२४ ब्रह्मदेयाग्रहारांश्च (आथम) १३.११ ब्रह्ममृत्युरशुद्धात्मा (शांति) १५०.१२ ब्रह्मचारी गृहस्थ (शांति) १५.१२ ब्रह्मणा राजशार्दूल (अनु) १००.३८ ब्रह्मण्यः साधुवृत्तश्च (वन) ६४.४६ ब्रह्मदेवानुमंतानः (अनु) १०.२७ ब्रह्ममृत्यू ततो राजन् (बाश्व) १३.४ ब्रह्मचारी गृहस्थ (शांति) २४२.१३ ब्रह्मणा वरदत्तास्ता हव्य(बनु)८१.१६ ब्रह्मण्याधाय कर्माणि (भीष्म) २६.१० ब्रह्मदेयानुसन्तान इति (अनु) १०.३८ ब्रह्ममृत्यू ततो राजन (शांति) १३.५ ब्रह्मचारी बहुगुण: (आ) १२३.५८ ब्रह्मणा संपरित्यक्तो (आश्व) १७.२४ ब्रह्मण्यो दैवतपरः (वन) ६४.८० ब्रह्मद्विभविता तं (उद्योग) १७८.१३ ब्रह्म यत्परमं ज्ञेयं (आश्व) ३५.१ ब्रह्मचारी यतात्मा च (वन) २१८.१८ ब्रह्मणाऽस्मि समाविष्टो(शांति)२२५.३३ ब्रह्मण्यो ब्राकृहह्मा (अनु) १४६.५४ ब्रह्मद्विषां चाथ तस्मिन् (द्रोण) ७०.५ ब्रह्मयोनि समासाद्य (वन) ८३.१४० ब्रह्मचारी रतिगुणः (आ) ६५.४७ ब्रह्मणकेन जाताना (शांति) २६६.१० ब्रह्मण्यो वेदविच्छूरो (वन) ५३.३ ब्रह्मधर्मोत्तरे राज्ये (आ) १००.१६ ब्रह्मयोनेरवाकीर्ण जगाम(शल्य) ४१.१ ब्रह्मचारी विनीतात्मा (आ) १३१.४१ ब्रह्मणोक्तमिदं सर्व (आश्य) ३५.१४ ब्रह्मण्या भव धमात्मा( उद्योग)६६.३४ ब्रह्मन्देवरहस्यं च (आ) १.६२ ब्रह्मरूपधराञ्चछात्वा (आ) २००.५ ब्रह्मचारी व्रती नित्यं (शांति) ६१.१६ ब्रह्मणो ब्राह्मणानां च (आ) ६२.८८ ब्रह्मण्योऽयं पुरा भूत्वा (शांति)२२५.१३ ब्राम्भरतशादंलो राजा (आ) ५१.२ ब्रह्मर्षिणा व्रतबता वर्षाणां (आ)२१.१३ ब्रह्म चैव परं सृष्टं ये(शांति) १८८.१७ ब्रह्मणो मानसाः पुत्रा (आ) ६५.१० ब्रह्म तत्परमं ज्ञानं (शांति) २१६.१६ ब्रह्मन्यद्यद्यथा कार्य (वन) १२८.१ ब्रह्मषि-देव-गन्धर्व-यक्ष(वन) १८१.३४ ब्रह्मज्ञानप्रतिष्ठं हि (शांति) २३७.२२ ब्रह्मणो मानसाः पुत्रा (आ) ६६.१ ब्रह्मतेजोद्भवं तद्धि (सौप्तिक) १५.७ ब्रह्म पर्यचरत्क्षों (आ) १००.११ ब्रह्मर्षिभिः स्तूयमानो (कर्ण) ३४.६० ब्रह्मणः पदमव्यक्तं (आश्व) १६.४२ ब्रह्मणो यस्तृतीयस्तु पुत्रः(वन) २१८.१ ब्रह्म तेजोमयं शुक्र (शांति) २३२.१ ब्रह्मप्रियो ब्राह्मणसव्रती (वन)२३२.११ ब्रह्मर्षिसदृशो जशं (उद्योग) ५५.४७ ब्रह्मणं ससुपाकृत्य (आ) २१३.२५ ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठाऽहम(भीष्म)३८.२७ ब्रह्मदण्डः कालदण्डो (कर्ण) ३४.४३ ब्रह्मप्रोक्त प्रोक्तंर्वेद (अनु) १७.२ ब्रह्मर्षिस्तामथोवाच स (अनु) १६.६७ ब्रह्मणश्च प्रणाशेन धर्मों शांति)५६.२५ ब्रह्मण्यता दमा दान (भाष्म) ११२.३० ब्रह्मदण्डकृत समिति (मा) ३.४० ब्रह्मबन्धुश्चिरं कालं (अन) २८.११ ब्रह्मर्षीणां सहस्र हि (वन) १५१.३६ ब्रह्मणश्च सभी दिव्यां (सभा) ६.१२ ब्रह्मण्य इात मामाहुस्तया(अनु) ८.१८ ब्रह्मदण्ड महाघोर (आ) ५४.२५ ब्रह्मबन्धषु यहत्तं यहत्तं (बन) २००. ब्रह्मर्षीश्चापि देवांश्च (उद्योग) ११.६ ब्रह्मणः सदनादूर्व (वन) २६१३७ ब्रह्मण्यं वीर्य संपन्न (द्रोण) १३१.८ ब्रह्मदण्डविनिर्माता (अनु) १७.१३४ ब्रह्मभूतः प्रसन्नातमा (भीष्म) ४२.५४ ब्रह्मर्षे तव पुत्रोऽयं (शल्य) ५१.१३ Jain Education Interion For Private Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy